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Wednesday 27 April 2016

दिल्ली ने कहा दिल से नहीं चाहिए केजरीवाल नौटंकी फिर से : दिल्ली की जनता का सर्वे

जन उदय : दिल्ली में सत्ता परिवर्तन बड़ा ही स्वाभाविक था ,कांग्रेस की भ्रष्टाचार की पोटली इतनी बड़ी हो गई थी की दिल्ली वाले अब उसको उठा नहीं सकते थे अपने कंधो पर महंगाई ,उस पर और कमर तोड़ रही थी , बिजली कम्पनिया अपनी मनमानी कर रही थी  इसलिए दिल्ली ने सोचा कांग्रेस को विदा किया जाए .

चुनाव के वक्त दिल्लिवासियो के पास विकल्प बहुत कम थे , लेकिन आम आदमी पार्टी एक ऐसा विकल्प नजर आ रहा था जो शायद दिल्ली वाले के दर्द को समझ सकता था , हलांकि एक बार पहले ही बहुमत को केजरीवाल नकार चूका था लेकिन फिर जनता ने एक बार फिर केजरीवाल को बहुमत दिया और यह बहुमत इतिहासिक बहुमत था ,  और केजरीवाल को मुख्यमंत्री बना दिया
लेकिन केजरीवाल अपनी प्रक्रति ने अनुसार  वही करता आ रहा है जो वह पहले से करता आया है यानी काम की जगह भाषण जयादा देना और गन्दी राजनीती करना , जब से केजरीवाल आया है कोई भी एक ऐसा काम नहीं किया है जो दिल्ली की जनता को फायदा पहुचा सके , बात अगर सिर्फ बिजली के बिल की है तो यह बात सनद रहे की केजरीवाल   सरकार ने जो बिजली के बिल में सब्सिडी दी है वह दरसल दिल्ल्ली सरकार का बकाया पैसा है बिजली कम्पनियो के पास उसी पैसे से बिजली पर सब्सिडी दी जा रही है यह पैसा लगभग साडे चार हजार करोड़ है और जिस दिन यह पैसा खत्म हो जाएगा उसी दिन सब्सिडी खत्म , जब तक केजरीवाल अपना सिक्का जमा चुके होंगे ,  और लोगो को पता भी नहीं चलेगा की उन्ही की जेब का ऐसा एक हाथ से उठा कर दुसरे हाथ में खैरात के रूप में पकड़ा दिया  गया ,

रहा सवाल पानी का तो लगभग सभी लोग जानते है की एक घर मर जहा चार सदस्य है वहा पानी एक हजार लिटर से जयादा लगता है तो यह भी एक धोखा है ,  पानी के बकाया बिल माफ़ करना भी वही साबित होगा यानी कही न कही जनता की जेब पर डाका ,

इसके अलावा दिल्ली सरकार ने कोई कम नहीं किया है न तो दिल्ली में  अपराध रुके है और न ही भ्रष्टाचार  तो सिर्फ ये दो काम करने के लिए दिल्ली में आम आदमी की सरकार क्यों ??
इसके अलावा शिक्षको की भारत आज तक पूरी नहीं हो रही इसलिए शिक्षा का बुरा हाल है , यही नहीं रहे सहे टीचर्स को भी निकाला जा रहा है , सबसे बड़ी बात की दलित शिक्षको को चुन चुन कर निकाला जा रहा  है , दिल्ली के स्कूलों में लगभग १२ हजार  शिक्षको की भर्ती तत्काल रूप से होनी चाहिए लेकिन कुछ नहीं हो रहा है , इसके अलावा अन्य भर्तियो के केजरीवाल अपनी रिश्तेदारों या मित्रो को ही भर्ती कर रहा है , एक तरफ हमेशा आरक्षण का विरोध करने वाला  केजरीवाल अपने रिश्तेदारों को किस आधार पर भर्ती कर रहा है यह पता नहीं चल रहा है . एक नम्बर  का जातिवादी और दलित विरोधी केजरीवाल का वश चले तो दलितों को गोली से भून दे

दूसरी बात रही स्वास्थ सेवाए तो वो सभी जहा है वही है हाँ सुधार के नाम पर केजरीवाल के हर हस्पताल और डिस्पेंसरी के आगे पोस्टर जरूर लगे है बाकी कुछ नहीं बदला , लम्बी कतारे , डॉक्टर की कमी नर्सो की कमी सब वही है ,

एक नौटंकी की तरह अपने विज्ञापन पर जनता का पैसा खर्च करने वाला केजरीवाल यह नहीं जानता की दिल्ली की जनता ने दिल बना लिया है की अब इस नौटंकी को दुबारा नहीं आने देंगे