यह बात किसी से छिपी नहीं
है की भारत का सविंधान न सिर्फ अभिव्यक्ति की आजादी देता है बल्कि हर जाति , समुदाय , धर्म के लोगो को अपने रीती रिवाज
आस्था के साथ सम्मानीय जीवन जीने की भी
आजादी मौलिक अधिकारों में देता है .
आर एस एस जो की ब्राह्मणों
का एक अतिवादी संघठन है अपनी स्थापना से ही
देश में धर्म और संस्कृति के नाम पर लोगो को बरगलाता आया है , देश में होने वाले आज तक तक सभी दंगो में सीधा उलटे
तरीके से संघ का हाथ रहा है .
कभी गंगा बचाओ , कभी मंदिर
, कभी गोमांस कभी महिसासुर , कभी देशद्रोह
के नाम पर संघ ने देश में न सिर्फ तनाव पैदा किया है बल्कि देश को भाषा और संस्कृति के नाम पर बांटने का काम किया है .
हाल ही में हैदराबाद
केन्द्रीय विश्वविध्यालय में दलित छात्रो पर जो प्रशासनिक जुल्म हुए जिसकी वजह से
रोहित वेमुला नाम के दलित छात्र को आत्महत्या करनी पड़ी , इन
छात्रो से संघ को सिर्फ इसलिए
परेशानी थी कि ये छात्र अम्बेडकरवादी सन्घठन से जुड़े थे और
हमेशा सभी के लोकतांत्रिक हको के लिए आवाज उठाते
थे , ब्राह्मणों द्वारा फैलाई जा
रही कुत्सित और घ्रणित विचारधारा के खिलाफ
थे , विश्विध्यल्या में गोमांस खाने की आजादी की बाते करते क्योकि ये एक
बहुत बड़े समुदाय की खान पान संस्कृति से जुडी थी , लेकिन संघ की
विचारधारा के लोग हमेशा इस बात के खिलाफ थे और वो गोमांस खाने को देशद्रोह से जोड़ कर
देखते थे
संघी ये भी बताते थे की
यह ब्राह्मणों का पवित्र पशु है और ये
इश्वर का वरदान है .. लेकिन शोध आदि से यह
भी पता चल गया
की प्राचीन काल में स्वव्म ब्राह्मण गोमांस खाते
थे बल्कि मारकंदय पुराण में
तो यहाँ तक बताया गया है
कि मृत पितरो को गोमांस अर्पित करने से वो बहुत तृप्त हो जाते है . . इसके अलावा बहुत सारे और दृष्टांत ब्राह्मण द्वारा रचित ग्रंथो में मिल जाएंगे
तो आज इन बातो
के लिए संघ
का यह आतंकी रवेय्या
क्यों ??
इससे पहले मंदिर के नाम
पर गुजरात में मुंबई में हम बहुत खून
खराबा देख चुके
है , कोई कहे नहीं लेकिन तीस
सबके दिल में .
यही हाल जे
एन यु में हुआ
जहा छात्रो को देशद्रोह के
जूठे आरोप लगा कर जेल में दाल दिया
गया है
सवाल यह
है की क्या कोई
भी व्यक्ति , समुदाय ,अगर समाज में फैली बुराई के खिलाफ अगर बोलेगा तो
क्या उसे देशद्रोही कहा जाएगा ?? या सीधा सीधा कहे कि
अगर ब्राह्मणों द्वारा फैलाई जा
रही मानसिकता के खिलाफ बोलेगा तो वह
देशद्रोही होगा ?? क्या इस तरह ब्राह्मण
इस देश को
अपना सांस्कृतिक गुलाम बनाना
चाहता है ?? और जो नहीं
मानेगा वो देशद्रोही
होगा , ऐसे कई लेखक , कलाकार
है जिनकी हत्या संघ करवा चुका है
आज संघ के पास
देश की कमान है
यानी ये लोग सत्ता में है
इसका मतलब यह नहीं
की ये लोग हमेशा
के लिए सत्ता में आ चुके
है समय और लोकतंत्र का पहिया
हर तानाशाह को कुचल देता है संघ को भी कुचल देगा और जब
ये लोग सत्ता
में नहीं होंगे
तब इनके लिए बहुत मुश्किल होगी
. इसके
अलावा इन लोगो को ये बात अपने मन
में बिठानी ही होगी की
ये देश किसी
का गुलाम नहीं है
ये बात
अलग है की विदेशो से आये आर्य /
ब्राह्मण एक समय आने पर कत्ले आम
करके इस देश के शासक
बन गए और यहाँ के
मूलनिवासी लोगो को अपना
सांस्कृतिक गुलाम बना लिया अपने
लिए ग्रन्थ लिख
लिए की उन्हें
भगवान् ने भेजा है
आने वाली नसले गरीब कमजोर , निरक्षर रहे
और उनकी अज्ञानता का फायदा ब्राह्मणों
को मिलता रहा लेकिन
आज तो ये
मूलनिवासी पड़ लिख गए है और अपने इतिहास को जानने
लग गए है , दूसरी बात अगर
आपको अपने रीती रिवाज की इतनी
परवाह है तो
आप कैसे किसी दुसरे
जाति धर्म के
बारे में अपमानजनक बाते कह
सकते है ??? सबसे
पहले ब्राह्मणों को
अपने आपको सुधारना
होगा और इस
देश को अपना सांस्कृतिक गुलाम
समझना बंद करना
होगा तभी इनका
भविष्य इस देश
में सुरक्षित रहेगा , क्योकि
ताकतवर , अत्याचारी कभी सलामत नहीं
रहे , इतिहास गवाह
है