Apni Dukan

Saturday 26 March 2016

सिर्फ भारत ही नहीं जानिये दुनिया के कितने देशो में मिलता है आरक्षण :: राज आदिवाल


दलित आरक्षण के खिलाफ कई तरह के तर्क कुतर्क किये जाते है। उनके कुछ तर्को में दलित आरक्षण विरोधियों का सबसे पहला तर्क होता है कि दूसरे  देशो मे आरक्षण नहीं है इसलिये वो हमसे ज्यादा प्रगितिशील  है। जो बिल्कुल गलत है।

 विदेशो मे भी आरक्षण की पद्धति है। अमरिका, चीन, जापान जैसे देशों में भी आरक्षण है ।

बाहरी देशों में आरक्षण को Affirmative Action कहा जाता है। Affirmative Action मतलब समाज के "वर्ण " तथा "नस्लभेद" के शिकार लोगो के लिये सामाजिक समता का प्रावधान है ।
1961  को संयुक्त राष्ट्र की बैठक मे सभी प्रकार के वर्ण अथवा नस्लभेद रंगभेद के खिलाफ कड़ा कानून बना। इसके तहत संयुक्त राष्ट्र में सम्मिलित सभी देशो ने अपने देश के शोषित  किये हुए वर्ग को (दलित) की मदद करके उन्हें समाज मे स्थापित करने का निर्णय लिया है। इसी के तहत अलग अलग देशो ने अलग अलग तरीके से आरक्षण लागु है।



अन्य देशो में आरक्षण
ब्राझील में आरक्षण Vestibular नाम से जाना जाता है ।
कॅनाडा में समान रोजगार का तत्व है जिसके तहत फायदा वहाँ के असामन्य तथा अल्पसंख्यकों को होता है ।
चीन में महिला और तात्विक अल्पसंख्यको के लिये आरक्षण है ।
फिनलैंड  मे स्वीडीश लोगो के लिये आरक्षण है ।
जर्मनी में जिमनॅशियम सिस्टम है ।
इसरायल में Affirmative Action तहत आरक्षण है ।
जापान जैसे सबसे प्रगत देश में भी बुराकूमिन लोगो के लिये आरक्षण है (बुराकूमिन जापान के  हक वंचित दलित लोग हैं ) 
मॅसेडोनिया में अल्बानियन के लिये आरक्षण है ।

मलेशिया में भी उनकी नई आर्थिक योजना के तहत  आरक्षण जारी हुए है ।
न्यूजीलैंड में माओरिस और पॉलिनेशियन लोगो के लिये Affirmative Action का आरक्षण है ।
 नॉर्वे मे 40 % महिला आरक्षण है पीसीएल बोर्ड में।
रोमानिया मे शोषण के शिकार रोमन लोगों के लिये आरक्षण है ।
दक्षिण आफ्रिका मे रोजगार समता (काले गोरे लोगो को समान रोजगार) आरक्षण है ।
दक्षिण कोरिया मे उत्तरी कोरिया तथा चीनी लोगों के लिये आरक्षण है ।
श्रीलंका मे तमिल तथा क्रिश्चियन  लोगो के लिये अलग नियम अर्थात आरक्षण है ।
स्वीडन मे General Affirmative Action के तहत आरक्षण मिलता है ।
इतना ही नहीं संयुक्त राष्ट्र अमरिका में भी Affirmative Action के तहत आरक्षण है ।                            
अगर इतने सारे देशों में आरक्षण है (जिनमे कई विकसित देश भी शामिल है) तो फिर भारत का आरक्षण किस प्रकार भारत की प्रगति में बाधक है। यहां तो सबसे ज्यादा लोग जातिभेद के ही शिकार हैं । तो फिर दलित तथा पिछड़े वर्ग को क्यों न मिले आरक्षण..??
अगर आरक्षण हट गया तो फिर से एक ही " विशीष्ट " वर्ग का शासन तथा उद्योग व्यवसायों पर कब्जा  होगा, फिर ऐसे में किस प्रकार देश की प्रगति होगी। भारत सिर्फ किसी विशीष्ट समुदाय के लोगो का देश नहीं है, सिर्फ एक वर्ग विशेष की प्रगति से भारत की प्रगति नहीं  होगा।

 जब तक भारत के सभी जाति धर्म के लोग शिक्षा, नौकरी तथा सरकार में समान रुप से प्रतिनिधित्व नहीं करेंगे , तब तकदेश प्रगति नहीं करेगा। अगर  प्रत्येक देश प्रगति के लिए सभी लोगों को साथ लेकर चल रहा है तो फिर भारत क्यों नहीं ..?