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Saturday 26 March 2016

क्यों डर रही जातिवाद सरकार हैदराबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी के आन्दोलन से सिर्फ दलित आक्रोश से नहीं , आग की तरह बढती दलित चेतना से डर लगता है जातिवादियो को

क्यों डर रही जातिवाद सरकार  हैदराबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी के आन्दोलन से
सिर्फ दलित आक्रोश से नहीं , आग की तरह बढती दलित चेतना से डर  लगता है जातिवादियो को

हैद्राबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय मे जो हो रहा है, उसे देखकर कुछ बातो का निष्कर्ष निकलकर सामने आ रहा है..
पिछले कुछ सालो मे दलितोने शिक्षा और सामाजिक आंदोलन मे जो कार्य किया है, वो जितना काबीले तारीफ हमारे लिए है, उतना ही चिंताजनक मनुवादीयो के लिए बनता जा रहा है.

आपको शायद याद होगा के "बाबासाहब का एक भाषण, जिसमे उन्होने पढे लिखे लोगो के धोखा देणे की बात कही थी"..इसीको इस्तमाल करके, मा. कांशीराम पढे लिखे दलित कर्मचारीयो को जगाते रहे, फिर भी जितने बडे पैमाने पर यह होना चाहीए था, उतना हुआ नही. पर इसका असर उन विद्यार्थीयो पर हुआ, जिन्होने समाज के उत्थान की जिम्मेदारी अपने सर ले ली. शिक्षा मे अव्वल स्थान के साथ साथ वो आंबेडकर विचारधारा को समझने लगे और उसका इस्तमाल आंदोलन मे भी करणे लगे. आपको यह मानना होगा के, जिस दिशा मे समाज का युवा वर्ग चलता है, उसी दिशा मे समाज को चलना पडता है. हमारा युवा बाबासाहब की राह चलने लगा, और असर ये हुआ के समाज भी चलने लगा. जो के मनुवादीयो को कतेह मंजुर नही है.

दुसरी सकारात्मक बात यह बनी के, विश्वविद्यालयो मे पढणे के कारण, एवंम सामाजिक आंदोलन को समझने के कारण कई अनुसुचित जाती, जनजाती और पिछडा वर्ग, अल्पसंख्याक भी साथ आने लगे. इसका नतीजा भविष्य मे यह होता के यह सारा समाज भी साथ आ जाता. खास तौर पर अनुसुचित जाती और जनजाती अपनी अपणी जाती की सिमा लांधकर 'जय भिम' विचारधारा के तहत एक भी होने लगे. जहा तक सब समाज की बात है, उनके एक होने के पिछे जो कारण है, उनमे पहला था, शिक्षा और दुसरा है आरक्षण. इसलिए जबतक यह दोनो कायम है तब तक आंबेडकरवाद के जितने की गुंजाईश बढती रहेगी. यही कारण है के मनुवादी भाजपा और आर एस एस और छाञ संघटन आंबेडकर विचारो के विद्यार्थीयो को लक्ष बना रहा है. आर एस एस आरक्षण के खिलाफ बात करते है और भाजपा आरक्षण का विरोध नही करती.

विश्वविद्यालयो मे दलित छाञ भयग्रस्त अवस्था मे रहे, ना ही वो शिक्षा ले पाये और ना ही आंदोलन मे हिस्सा, इस तरह से उनका दमन शासन प्रशासन की मदत से आंरभ हो चुका है.
हैद्राबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय मे जो चल रहा है, वो इतना भंयकर है के आप सोच भी नही सकते. ना उसके विषय मे कुछ दिखाया जा रहा है, ना लिखा जा रहा है.
भाजपा के, कॉग्रेस के दलित विधायक, सांसद, और छोटे मोठे कार्यकर्ता तो गुलाम है, उनसे कहा कोई उम्मीद है, पर हमारे नेता गण, उनकी क्या मजबुरी है?
मा. कांशीरामजी होते, तो शायद यह नौबत आती ही नही, और आती भी तो साहब वही रहते, बच्चो के बीच. बहनजी भी अगर वहा जाये तो बात बन जाये...पर खैर..कोई बात नही.

इसलिए मै कहते आया हु, पुराणे और बेकार नेताऔसे रिश्ता तोडो..आंदोलन मे भावनिकता नही, प्रामाणिकता जरुरी होती है. जो जिस तरह भाजपा, कॉग्रेस मे काम कर रहे दलित नेता, कार्यकर्ता मे नही होती, उसी तरह भाजपा, कॉग्रेस से बाहर रहकर उनकी रोटी पर पलने वालो की भी नही होती.

संपुर्ण भारत मे दलितोपर जो अत्याचार हो रहा है उसकी जिम्मेवारी महाराष्ट्र के लोगो की है. महाराष्ट्र के लोगो ने जिसमे मेरा भी नाम आता है, बाबासाहब के आंदोलन को जिस तरह से पिछे लाया, उसे देखकर बाकी राज्यो के दलित भी निराश हो गये है. जिस भुमीपर बाबासाहब के आंदोलन ने जन्म लिया, पला बढा और कामयाब भी हुआ, उसी धरतीपर जब यह आंदोलन कामयाब नही हो पा रहा है, यह सोचकर बाकी राज्यो मे दलित परेशान है.
फिर भी जब पुरे भारत का युवा, पिछली बाते भुलाकर फिर बाबासाहब के आंदोलन से जुडने लगा तो उनकी हालत यह हुई है.
भाजपा आंबेडकरी युवाऔका दमन कर रही है और अफसोस की बात यह है के इनके पिछे कोई भी ऐसा राजनेता नही है, जो इन्हे न्याय दिला सके और इनका दमण रोख सखे.
महाराष्ट्र के आंबेडकर अनुयायी को हैद्राबाद की घटनासे कुछ सिखना होगा. पहला यह के, अगर आज महाराष्ट्र बाबासाहब की राह पर नही चलेगा तो देश भी नही चलेगा. अगर महाराष्ट्र मे बेकार, और चमचो को नेता मानने का सिलसिला नही थमेगा, तो यह पुरे भारत मे जोर शोर से बढेगा.

हैद्राबाद की घटना मुझे महाराष्ट्र के आंबेडकरवादीयो के मुह पर एक तमाचा लगता है....यह वो संदेश महाराष्ट्र के आंबेडकरवादीयो को है के तुम जब बाबासाहब के धरतीपर उन्हे जिता नही सके तो देशभर मे क्या जिताऔगे और यह संदेश समस्त भारत के दलितो के लिए भी है, के जब महाराष्ट्र मे कुछ नही हो सका, तो आप क्या कर लोगे और करोगे तो यह सब होगा.

अब महाराष्ट्र के आंबेडकरवादीयो को सोचना है के आगे क्या करणा है. आंबेडकरवाद को देश मे जिताने की पुर्व शर्थ है के "आंबेडकर वाद पहले महाराष्ट्र मे जीते."

इसके लिए जो तयार है..उसे दिल से
"जय भिम"

और रोहीत वेम्युला को न्याय बहोत जल्द मिलेगा..हैद्राबाद मे जो पोलीस जिसके कहने पर हमारे विद्यार्थीयो को पीट रही है, कल यही पोलीस हमारे कहने पर उनको पिटेगी....

वो ताकद जल्द ही पहले महाराष्ट्र मे पैदा होगी और फिर संपुर्ण भारत मे....