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Friday 9 February 2018

शिवाजी , मुसलमान और संघियो का षड्यंत्र : जीशान अहमद

शिवाजी , मुसलमान और संघियो का षड्यंत्र  : जीशान अहमद

संघी यानी आर एस एस  जिसका दुसरा मतलब  नफरत और आतंक  भी होता है  इन्होने देश में अशिक्षा की वजह से इतिहास के पन्नो   में जहर  डाल डाल के लोगो को पिला रहे है और कमाल की बात यह है की ये लोग हिन्दू शब्द का सहारा ले कर अपना उलू सीधा करते रहते है जब की यह बात सब जानते है की हिन्दू समाज या धर्म से इनका कोई लेना  देना  नहीं है इनका काम है सिर्फ जहर फैलाना , अगर इनका हिन्दू  या हिन्दू समाज से कोई सम्बन्ध  होता तो फिलहाल में  सहारनपुर में ऐसी घटना न होती  की इन्होने अपने ही धर्म के लोगो के साथ बर्बरता की  और ये सिर्फ  सहारनपुर ही नहीं पुरे देश में सदीओ से ये लोग दलित समाज में जहर फैलाते आ रहे है , वर्तमान योगी सरकार चुन चुन कर यादव , गुर्जर  और मुसलमानों की हत्या कर रही है जिसमे  ३००० से जयादा ह्त्या कर चुकी है और ये  खुनी खेल जारी  है वह भी  अपराध मुक्ति के नाम पर

अब बात करते है शिवाजी  की जिसको ये लोग  हिन्दू  कह कर संबोधित  करते है और हिन्दू –मुसलमान के बीच खड़ा कर देते है जबकि  शिवाजी  एक राजा  था   उसका राजधर्म  था जनता से उसे प्यार था  वह अपने राज्य में सबका राजा  था और  उसकी सारी प्रजा  उसके साथ थी वह भी बिना किसी जाति और धर्म के भेद के
यहाँ पर शिवाजी के बारे में कुह खुलासे  किये जा रहे है जरा देखिये
धर्म के ठेकेदारों तुम ही बताओ मुल्लो से नफरत करू भी तो किस वजह से?
छत्रपति शिवाजी महाराज की सेना में 30% से ज़्यादा मुसलमान  थे


शिवाजी के 13 बॉडीगार्ड मुसलमा
न थे

शिवाजी के तोपखाने का प्रमुख इब्राहिम खान नाम का मुसलमान था।
शिवाजी का एक ही वकील था जिसका नाम क़ाज़ी है था वो भी मुसलमान था।
शिवाजी के गुरु का नाम सूफी याकूब बाबा था।
शिवाजी के थल सेना प्रमुख का नाम नूर खान था।

अफ़ज़ल खान को मारने के लिए शिवाजी को वो हथियार बना कर देने वाला सिद्धि हिलाल मुसलमान ही था
अफ़ज़ल खान के आने की खबर देने वाला रुस्तम ए ज़मान मुसलमान था।

इतिहास में कही भी नही है के शिवाजी के सेना के किसी मुसलमान ने शिवाजी को धोखा दिया हो।
शिवाजी ने रायगढ़ में अपने किले से सामने मुस्लिमों के लिए मस्जिद बनाई जो आज भी मौजूद है
शिवाजी पर हमला करने वाला कृष्णा भास्कर कुलकर्णी ब्राम्हण था।
ब्राम्हणो ने शिवाजी के राज्ये अभिषेक को नकारा था।

शिवाजी के पोते  संभाजी की हत्या कर के उनके शरीर के टुकड़े करने वाले ब्राम्हण ही थे।
शास्त्रो के हिसाब से शुद्र का शिक्षा प्राप्त करना अधर्म था अगर कोई शुद्र शिक्षा प्राप्त करले तो उसे मृत्यु दंड दिया जाता था
ज्योतिबा फुले ने शूद्रों की शिक्षा की ज़िम्मेदारी उठाई और स्कूल शुरू करने के लिए आगे बढ़े ब्राम्हणो ने खूब विरोध किया पर एक मुल्ला जिसका नाम उस्मान शेख था उसने स्कूल के लिए जगह दी।
सावित्री बाई फुले जब स्त्री शिक्षा की ज़िम्मेदारी लेकर निकली उस वक़्त भी ब्राम्हणो के खूब विरोध किया यहा तक के सावित्री बाई पर पत्थर और गोबर बरसाए गए ब्राम्हणों द्वारा पर उस वक़्त भी उनके साथ कदम से कदम मिला कर चलने वाली फ़ातेमा शेख भी मुल्ला ही थी।

ब्राम्हणों के विरोध के बावजूद डॉ भीमराव अंबेडकर को संविधान हाल तक पहोचाने वाले भी मुल्ले ही थे

धर्म के ठेकेदारों अब तुमही बताओ मेरे पूर्वजो के साथ कदम से कदम मिला कर चलने वाले इन मुसलमानों  से मैं कैसे नफरत करू?