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Monday 7 March 2016

देश में विरोध , भारतीय विदेशो में मांगते है ब्राह्मण आरक्षण ,देश में ही नहीं भगवा मानसिकता के लोग विदेशो में भी इस जहर को फैलाते है

जन उदय : देश में विरोध , भारतीय विदेशो में मांगते है आरक्षण ,देश में ही नहीं भगवा मानसिकता के लोग विदेशो में भी इस जहर को फैलाते है

कनाडा दुनिया की सभी संस्कृतियो का समावेश , एक खूबसूरत नज़ारा देखने को मिलता है , कनाडा दुनिया का शायद एकमात्र देश है जहां पर दुनिया की सभी हिस्सों के लोग रहते है , सभी भाषा और संस्कृतियो का एक साथ समन्वय और समावेश है
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कहने को भारत भी विविधता वाला देश है , यहाँ भी दुनिया के सभी धर्म , प्रजाति के लोग है लेकिन जो आदर सम्मान कनाडा में विदेशी मूल के लोगो को मिलता है वो शायाद कही नहीं . कनाडा में ६९ % लोग विदेशी मूल के है ये एक बहुत बड़ी संख्या है क्योकि ये नज़ारा भी आपको देखने को कही नहीं मिलेगा , लेकिन ऐसा नहीं की इन विदेशी मूल के लोगो को अपने नागरिक हको के लिए लड़ना नहीं पड़ा कोई आन्दोलन नहीं करना पड़ा . यहाँ भी अन्य देशो की तरह सामाजिक आन्दोलन हुए जो लोगो ने अपने हको के लिए लड़े .

कनाडा के सविंधान में इस बात की पूरी कोशिश की गई है की वहा रहने वाले लोग सामान रूप से नागरिक कहे जाए और सामान आदर प्राप्त करे .
सामाजिक उठान के लिए वहा सामान रोजगार अवसर १९९५ में बनाया गया और ये सिर्फ कानून नहीं है बल्कि इसका पालन किया जाता है यहाँ रहने वाले नागरिक चाहे वो चीन से हो अफ्रीका से हो या भारत से हो इस कानून का पूरा लाभ उठाते है और सरकार इस बात की पूरी कोशिस करती है की इस कानून का पालन हो .
कनाडा में रहने वाले भारतीय मूल के लोग इस कानून का पूरा फायदा उठाते है नौकरी में तो है ही इसे साथ साथ राजनीति आदि में भी भारतीयों की पूरी हिस्सेदारी होती है , यही कारण है की इस बार सामान्य चुनाव के बाद कनाडा में पहली बार एक सिख को रक्षा मंत्री बनाया गया है .
लेकिन भारतीय लोगो के चरित्र की एक ख़ास बात समझ नहीं आती की कनाडा और अन्य यूरोपीय देशो में ये लोग अपने लिए आरक्षण की मांग करते है समानता का हक मांगते है लेकिन यही लोग भारत के सन्दर्भ में जातिवादी बन जाते है , धार्मिक रूप से असह्ष्णु बन जाते है मार पिटाई और आतंकवाद पर उतर जाते है . इन्ही भारतीय लोगो की मदद से भारत में कुछ असामाजिक तत्वों ने आतंक मचाया हुआ है , कभी गाय के नाम पर .
भारत में धर्म के नाम पर दंगे कराने वाले केवल ब्राह्मण और बनिए संघठन ही होते है और ये जाती के लोग ही विदेशो में भी भारत की इस सामाजिक बिमारी को फैला रहे है , जिसके कारण इंग्लैंड में जातिविरोधी कानून बनाना पड़ा .
अगर इन लोगो को आरक्षण सामाजिक न्याय से इतना परहेज है तो यही लोग विदेशो में आरक्षण और सामाजिक न्याय की मांग क्यों करते है