जन उदय : क्या आपने ऐसे लोग देखे है जो पैसे और सत्ता के
लिए अपनी बहन बेटी को भी दाव पर लगा दे , उन्हें बेच दे , या किसी को उनकी इज्जत
के साथ खिलवाड़ करने दे , या उनका बलात्कार भी हो जाए तो तो कुछ पैसे या सत्ता में
कुछ पद ले कर चुचाप बैठ जाए ??? शायद नहीं देखे होंगे या देखे होंगे या
सुने होंगे तो सालो के बाद कही कोई या शायद बिलकुल नहीं
लेकिन आजकल दलित नेता ऐसे
है जिन्होंने नीचता की हद पार कर दी है ये लोग पैसे और सत्ता के इतने भूखे हो गए
है जिन्हें अपने परिवार और रिश्तो तक की बली चड़ा
दी है शायाद इसे कहते है इंसानियत का मर जाना या आँख का पानी मर जाना
आप सभी सोचंगे की ऐसे नेता
कौन है ?? क्या ऐसा सचमुच हुआ है , ?/
बिलकुल ऐसा ही हुआ है और जितने भी
दलित नेता है सबने ये काम किया है क्योकि एक तरफ ये दलित नेता दलितों के नाम पर
वोट लेते है या सत्ता में हिस्सा लेते है है और दलित लोग भी इसी उम्मीद में इनको
चुनते है की ये लोग आगे जा कर इनके दुःख दर्द्द में भागी बनेंगे अगर कोई मुसीबत
आयगी तो ये नेता इनका साथ देने आयंगे , क्योकि दलित होना अपने आप में सजा है तो
शायद ये लोग इनका दर्द समझेंगे और इनके बीच एक रिश्ता होता है , इंसानियत का
भाईचारे का और दलित होने का
लेकिन ये दलित नेता सिर्फ
अपनी कुर्सी संभालने में लगे है ,
पुरे देश में दलितों की हत्याए हो रही है लडकियो के बलात्कार हो रहे है लेकिन
ये नेता कुछ नहीं बोलते
डेल्टा , और जीशा के बलात्कार
और हत्या ऐसे मामले है जिससे दलितों को एकदम सचेत हो जाना चाहिए और आंदोलित हो जाना चाहिए क्योकि अब ब्राह्मणों ने नई रणनीति
अपना ली है दलितों को फिर से गुलाम बनाने
के लिए , सबसे पहले की शिक्षा छीन
ली जाए दलितों से दूसरा पढ़े लिखे और मेधावी दलित
छात्र छात्राओं की हत्या यानी जल्द पतन
अब दलितों के उपर है की वो
लोग सबसे पहले इन दलित नेताओं को
जूता मारते है या इनको
अपनी दलाली के लिए छोड़ते है