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Saturday 7 May 2016

दलितों करे ब्राह्मणों का सामाजिक और आर्थिक बहिष्कार


जन उदय : दुनिया   चाँद पर पहुच गई लेकिन संघी ब्राह्मणों के दिमाग अभी भी गटर में ही रह्तेहाई ये लोग चाहे जितना भी पढ़ लिख  लिख ले लेकिन लेकिन ये लोग जाहिल ही रहेंगे .

ये ही दुनिया की एक ऐसी जाति है जो जहा   जाते है वही अपनी दिमाग की  गंदगी वहा वहा फैलाते है
हाल ही में कुम्भ में दलितों के लिए अलग स्थान   बनाया और उसका कारण संघी गधे ये बता रहे है ये लोग गंदे होते है

हमारे देश में सामाजिक परिवर्तन की लहर चल पढ़ी  है और इसको आगे जभी  बढाया जा सकता है जब दलित लोग आर्थिक और सामाजिक रूप से जयादा शक्तिशाली होंगे  और इसके लिए एक सामाजिक स्तर पर दलितों को एक मुहीम चलानी होगी यानी  रोज मर्रा के सारे  सामान  सभी लोग सिर्फ दलितों की दूकान से ही खरीदे , अगर यह सम्भव न हो तो तो सभी लोग पैसा इकट्टा कर थोक में ले आये

इसके अलावा दलित लोगो को सवर्ण लोगो के खेतो  और फक्ट्री में काम नहीं करना चाहिए
ये कुछ लोगो को बढ़ा  अजीब लगेगा  लेकिन एक बार अगर दलित इन ब्राह्मणों का सामाजिक और आर्थिक बहिष्कार शुरू कर देंगे तो बाजी जल्द ही दलितों के हाथो में आ जाएगी ,


रही मन्दिरों में और भगवानो की बात तो जिनको जरूरत है वो अपने मंदिर बना ले और खुद ही चढ़ावा  खुद अपने सामाजिक की भलाई के लिए लगाए  या फिर इतनी ताकत रखे अगर कोई इस तरह की हरकत करे की जाति  के नाम से उन्हें मन्दिर में न जाने दे   या जो कुम्भ में हुआ  तो जूता  लेकर उसकी पिटाई  करो


इसके अलावा  दलित इन ब्राह्मणों  से कोई भी सामाजिक  रिश्ता  न रखे  इनके आने पर  थूके  और अपने  पास ही न  आने दे