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Monday 21 March 2016

भारत बौधकाल में विश्व गुरु था , इसमें ब्राहमणों का कोई योगदान नहीं रहा


आज   दुनिया में भारत के शिक्षा संस्थान सिर्फ सिलिये बदनाम नहीं है की यहाँ की यूनिवर्सिटी में रोहित  वेमुला ,जैसे होनहार छात्रो की संस्थानिक हत्या हो जाती है  

और इसमें सरकार  और सभी कर्मचारी शामिल होते है . भारत इसलिए भी बदनाम हुआ है की देश के एकमात्र अच्छी  यूनिवर्सिटी के छात्रो को भाजपा सरकार ने झूटे  देशद्रोह  कानून  में फसाया .
वैसे अगर हम दुनिया के स्तर पर भारत में  शिक्षा के स्तर को देखा जाएगा कि दुनिया टॉप ४०० यूनिवर्सिटी में भारत का स्थान २७९ वा है


खैर मानने वाले ऐसा मानते है की भारत में शिक्षा का स्तर सिर्फ आरक्षण की वजह से गिरा हुआ है , लेकिन जब हम आंकड़े देखते है तो ये बड़ी हैरानी वाले होते है  जैसे भारत में सभी यूनिवर्सिटी और कॉलेज मे९९ % शिक्षक प्रोफेसर  सिर्फ और सिर्फ ब्राह्मण जाति   के है तो शिक्षा की खराब हालत के जिम्मेदार भी वही ठहरे

प्राचीन कालमें भारत विश्वगुरु था। विश्वगुरु बोले तो... ? जो विश्व को शिक्षा देता है, वो.! तो किसने विश्व को शिक्षाये दी ? किस गुरू की प्रतिमाये विश्वभरमे स्थापित की गयी ? किसकी शिक्षा पुरे विश्व में अनुदित हुयी

विश्वभरमे शिक्षा देने के लिए किन किन विद्वानोंको भारत से आमंत्रित किया गया ? कुछ नाम सेम्पल के लिए -गुणवर्मन, गुणभद्र, प्रग्नारुचि, उपशुन्य, ज्ञानभद्र, बुद्धभद्र, कमलशील, ज्ञानप्रभ, चित्रगुप्त जैसे हजारो बौद्ध विद्वान यूनान, तुर्की, और मध्य एशिया से लेकर पुरे पूर्वी एशिया के देशो मे शिक्षा देने के लिये बुलाये गए। मजेदार बात यह ही इनमे एक भी चोटी धारी प्रकांड पण्डित नही है...। जाहिर है वे सारे के सारे बौद्ध थे। फिर भी आज, कुछ लोगो को मेरिट की माला जपते देखता हूँ तो बड़ा मजा आता है...!