Apni Dukan

Thursday 17 March 2016

किसी भी मूल निवासी भारतीय को भारत माता की जय नहीं बोलना चाहिए यह एक राजनैतिक और सांस्कृतिक षड्यंत्र है , न कि देशभक्ति

 जन उदय : सबसे पहले तो इस बात को समझ लेना चाहिए की  किसी ख़ास नारे को लगा कर न तो कोई देशभक्त हो  जाता है  और न  लगाने पर देशद्रोही . क्योकि सिर्फ नारों से देश नहीं चलता  और न ही शासन वाव्य्स्था  बल्कि उन नारों को उन विचारों को अमल में लाने से देश चल सकता है , हमारे देश का सबसे बड़ा  नारा हमारे देश के सविंधान की प्रस्तावना है .

अब सवाल यह है की जो लोग देश के सविंधान का अपमान करते है देश के कानून को नहीं मानते  कभी मस्जिद  , कभी गोमांस , कभी  आरक्षण ,  के नाम पर देश में अराजकता का माहोल बनाए हुए है  देश में दंगे करवा रहे है , कत्ल करवा रहे है  वो लोग देश भक्त कैसे हो गए ??

इसके अलावा  भारत माता के स्वरुप  की कल्पना या तस्वीर  जो प्रस्तुत की जाती है  वो अपने आप में  षड्यंत्र कारी  है ये एक राजनैतिक  और सांस्कृतिक  षड्यंत्र है , जिसको इंडिया टुडे  के पूर्व  सम्पादक श्री दिलीप मंडल  ने ऐसे समझाया है “” एक तो उस महिला के हाथ में राष्ट्रीय झंडा नहीं है. उसने भगवा झंडा पकड़ रखा है. उसकी देशभक्ति संदिग्ध है. देशभक्त होती, तो हाथ में राष्ट्रीय झंडा होता, जिसे हर देशवासी गर्व से थामता है.

दूसरे वह सिर्फ संस्कृत बोलती और समझती हैं. सिर्फ संस्कृत में उसकी वंदना गाई गई है.
तीसरे, वह नैनो, नक्श और रंग रूप से भारतीय कम और यूरोपीय ज्यादा लगती है. भारतीय लोगों का एवरेज स्किन कलर गेहुआं है.

श्रीलंका, नेपाल, भूटान, बांग्लादेश की संप्रभुता का मैं आदर करता हूं. आरएसएस की बनाई भारत माता की फोटो से पड़ोसी देश से रिश्ते खराब होंगे.
श्री  दिलीप  मंडल  अंत में कहते है की “”   राष्ट्रीय झंडे के सम्मान के साथ मैं कोई समझौता नहीं कर सकता. आप करेंगे क्या? 

तो अब जो लोग देशभक्ति  के बाते करते है  क्या वो लोग बतायंगे  की भारत माता  के हाथ में  राष्ट्रिय  झंडा  क्यों नहीं है ??  वह क्यों  भारतीय जैसी  नहीं लगती ???

इसका मतलब साफ़ है  की ये तस्वीर विदेशी हमलावर ब्राह्मणों / आर्यों की संस्कृति को बढ़ावा देने वाली है  न की देशभक्ति  सिखाने  वाली