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Friday 11 March 2016

सलवा जुडूम है कांग्रेस और भाजपा का आतंकवादी संघठन ,आदिवासिओ की हत्या के लिए बनाया गया

नई दिल्ली।  सलवा जुडूम एक आदिवासी शब्द होता है। जिसका अर्ध होता है 'शांति का कारवां'
इसकी शुरुआत कांग्रेस ने की थी कहने को तो यह  संगठन  नक्सलवाद को खत्म  करने में सरकार की  मदद करना क्योकि इसके लिए महेंद्र वर्मा को चुना गया क्योकि वह भी पहले नक्सल था और ये उम्मीद थी की ये नाक्सालियो से बात करके उन्हें भी मुख्य धारा में जोड़ेगा लेकिन महेंद्र कर्मा का यह दल जो कांग्रेस  चला रही थी  धीरे धीरे एक आतंकी संघठन में बदल गया 

अब इसका काम सीधे सीधे  तोर पर नाक्सालियो को दबाना उनकी आवाज दबाना , उनकी हत्या करना  बन गया  . इन हत्याओं की वजह यह थी की उसका कांग्रेस में होना  और पूंजीपतियो को इन इलाको में जो जमीन चाहिए   उसी जमीन का इंतजाम  सलवा जुडूम करता था 

हालांकि ये जमीने पुजीपतियो को कोई न कोई उद्योग लगाने या खनिज निकालने के लिए सरकार द्वारा दी जाति है लेकिन इनके आड़े हमेशा वो आदिवासी आते है जो अपनी जमीन देना नहीं चाहते  वो अपने जंगल , जल जमीन के साथ ही जीना चाहते है  और उसी में मरना  चाहते है ,

लेकिन सरकार यह बर्दास्त नहीं कर सकती   ओड़िसा , मध्य प्रदेश , बिहार , झारखंड , महाराष्ट्र  आदि में आदिवासी जमीने नहीं देते  तो सरकार पुलिस प्रशासन की मदद से इन आदिवासिओ को प्रताड़ित करती रही जबर दस्ती आदिवासिओ को जेल में डाल  देती है , सलवा जुडूम  दरअसल आदिवासी के खिलाफ यही काम करता है , आदिवासियो की हत्या , बलात्कार , बिना जुर्म के जेल  और ये काम सलवा  जुडूम  कांग्रेस  और भाजपा की मदद से करता है .

सलवा जुडूम के जुल्मो से परेशान हो कर कई आदिवासी जंगलो में भाग जाते है और नक्सली बन जाते है , सोनी   सोरी पर हुए जुल्म इसी सलवा जुडूम और सरकारों के उधाहर्ण है

जिस दिन सरकार इन आदिवासिओ पर जुल्म खत्म कर देगी  उसी दन ये नक्सलवाद भी खत्म हो जाएगा , कमाल की बात यह है की हर सरकार हजारो करोड़ का बजट  नक्सलवाद को खत्म करने के लिए देती है  , कोई भी सरकार  इतना ही बजट अगर आदिवासिओ के विकास के लिए खर्च करे तो क्या ये जंगल में भाग कर नक्सल बनेंगे ??