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Friday 11 March 2016

देशदोह की संस्कृति सिखा रहे है श्री श्री रवि शंकर विश्व संस्कृति महोत्सव के नाम पर पर


स्वयं घोषित विश्व शांति दूत और विश्व शांति गुरु श्री श्री रवि शंकर का विश्व  संस्कृति महोत्सव अपनी कार्य प्रणाली की वजह से विवादों में है ,  इस समारोह को यमुना  की रखवाली में लगे विभागों से पूर्ण रूप से मंजूरी नहीं मिली थी , बल्कि कुछ विभागों ने इसे गैर कानूनी भी ठहराया   क्योकि इससे यमुना के आस पास और यमुना के  वेजी सिस्टम  और इको सिस्टम को खतरा है  और यमुना को बर्बादी की कगार पर खड़ा कर दिया है .

इन विवादों के चलते नेशनल ग्रीन   त्रुबनल ने श्री श्री रवि शंकर पर पांच करोड़ का   जुरमाना भी
लगाया है  जिसे श्री श्री रवि शंकर ने देने से मना कर  दिया है

बड़ी दिलचस्प बात यह है की श्री श्री रवि शंकर ये समारोह दुनिया के सामने भारत की संस्क्रती को रखने की बात कर रहे है , अब  इन जनाब से ये कोई पूछे की आप किस तरह की संस्कृति को  विश्व को सिखाना  चाह   रहे है वो कैसी   संस्कृति है ??

श्री  श्री रविशंकर  अपने देश के कानून की इज्जत नहीं करते , सविंधान की इज्जत नहीं करते  तो इससे बड़ी बात क्या हो सकती है ??  क्योकि किसी भी देश का कानून उस देश का सविंधान ही वहा की राष्ट्रीय संस्कृति को निर्धारित करता है  उसका निर्माण करने में साहयक होता है , और श्री श्री रवि शंकर उसी सविंधान और कानून का मजाक बना रहे है , 

नेशनल ग्रीन त्रुबनल  ने श्री रवि शंकर पर  पांच करोड़ का जुर्माना किया है और यह ताकीद दी है की समारोह के शुरू होने से पहले श्री रवि शंकर  इस जुर्माने की अदायगी करे , लेकिन सत्ता के नशे में  चूर श्री श्री रवि शंकर  जो की नरेंद्र  मोदी , भाजपा  और संघ के समर्थक और घटक दल के है  इन्हें इस बात से कोई फर्क ही नहीं पड़ता  है की ये कितना बड़ा अपराध कर रहे है .

सवाल न्याय  का और रवि शंकर के मौलिक अधिकारों का भी है लेकिन इस तरह की प्रक्रिया  जहा पर रवि शंकर देश के कानून को धत्ता  बता   रहे है और नेतिक रूप से एक देशद्रोह वाला उधाहर्ण पेश कर रहे है जो सरासर गलत है गैरकानूनी  है  अनैतिक है  श्री रवि शंकर के इस अपराध से देश में ही नहीं दुनिया में गलत संदेश  जाएगा , इनको ये समझ लेना   चाहिए की ये देश   इनकी  निजी सम्पति नहीं है

और वैसे भी  श्री श्री रवि शंकर  भारतीय संस्कृति  के नाम पर ब्राह्मण संस्क्रती को फैला  रहे है