मनुसिमृति का जलाया जाना संघ के षड्यंत्र की अगली कड़ी : सिर्फ मनुसिमृति नहीं , ब्राह्मणों द्वारा लिखित ग्रन्थ जलाय जाने चाहिए जो करते है जातिगत उत्पीडन की वकालत ,
इसे प्लान कहो या षड्यंत्र की दूसरी क़िस्त में ए बी वी पी के छात्रो ने जेएनयू में प्रशासन की अनुमति के बिना मंगलवार को मनुस्मृति की फोटो कॉपी की प्रतियां जलाई गई. एबीवीपी के पूर्व यूनिट सचिव प्रदीप नारवाल ने कहा कि “मनुस्मृति महिलाओं और शूद्रों के खिलाफ है. इसलिए इसको लेकर हमारा विरोध है.” उनके इसी ब्यान से साबित होता है की वो जातिगत भावना से कितने पीड़ित है की वो आज भी दलितों और उत्पीड़ितो को शुद्र कहते है , जबकि ये लोग भारत के मूल निवासी है और ब्राह्मण विदेशी हमलावर है
कमाल की बात है की ये मनुवादी छात्र नारे भी लगा रहे थे की यहाँ पर मनुवाद की कब्र खुदेगी
कुछ छात्रो का ये भी मानना है की ए बी वी पी के छात्रो ने ये इसलिए किया है की इन छात्रो का एक प्रकार से सामाजिक बहिष्कार हो गया है और ये अपने आपको कही अलग थलग महसूस करते है
दुसरे छात्र ने बताया की ए बी वी पी के इन छात्रो को कोई भी बहिष्कार नहीं किया गया है है ये हो सकता है इन छात्रो में खुद अपराधिक बौध हो और वे अपने अंदर ही अपने आपको अपराधी मानते है जिसकी भरपाई ये मनुसिमृति को जला कर कर रहे है
दुसरे छात्र ने बताया की ए बी वी पी के इन छात्रो को इस बात का भी डर होगा की आने वाले वक्त में कही इन पर जब कानूनी कार्यवाही होगी तो ये लोग अकेले पढ़ जाएगे और इनका हाल एक वास्तविक अपराधी की तरह ही होगा
एक अन्य छात्र ने कहा की अगर ये लोग जातिवाद के इतने ही खिलाफ है मानवता के इतने पक्षधर है तो ये ब्राह्मणों द्वारा लिखे उन सभी ग्रंथो को क्यों नहीं जलाते जो दलितों मूलनिवासियो के खिलाफ क्रूरता की वकालत करते है मनुसिमृति को पहले भी जलाया जा चुका है और उसको एक बार फिर जला दो उससे कोई फर्क नहीं पढता
दरसल सरकार संघ जे एन यु को ही न्यूज़ में रखना चाहती है और पुरे देश का ध्यान रोहित वेमुला की हत्या से हटानी चाहती है
इसे प्लान कहो या षड्यंत्र की दूसरी क़िस्त में ए बी वी पी के छात्रो ने जेएनयू में प्रशासन की अनुमति के बिना मंगलवार को मनुस्मृति की फोटो कॉपी की प्रतियां जलाई गई. एबीवीपी के पूर्व यूनिट सचिव प्रदीप नारवाल ने कहा कि “मनुस्मृति महिलाओं और शूद्रों के खिलाफ है. इसलिए इसको लेकर हमारा विरोध है.” उनके इसी ब्यान से साबित होता है की वो जातिगत भावना से कितने पीड़ित है की वो आज भी दलितों और उत्पीड़ितो को शुद्र कहते है , जबकि ये लोग भारत के मूल निवासी है और ब्राह्मण विदेशी हमलावर है
कमाल की बात है की ये मनुवादी छात्र नारे भी लगा रहे थे की यहाँ पर मनुवाद की कब्र खुदेगी
कुछ छात्रो का ये भी मानना है की ए बी वी पी के छात्रो ने ये इसलिए किया है की इन छात्रो का एक प्रकार से सामाजिक बहिष्कार हो गया है और ये अपने आपको कही अलग थलग महसूस करते है
दुसरे छात्र ने बताया की ए बी वी पी के इन छात्रो को कोई भी बहिष्कार नहीं किया गया है है ये हो सकता है इन छात्रो में खुद अपराधिक बौध हो और वे अपने अंदर ही अपने आपको अपराधी मानते है जिसकी भरपाई ये मनुसिमृति को जला कर कर रहे है
दुसरे छात्र ने बताया की ए बी वी पी के इन छात्रो को इस बात का भी डर होगा की आने वाले वक्त में कही इन पर जब कानूनी कार्यवाही होगी तो ये लोग अकेले पढ़ जाएगे और इनका हाल एक वास्तविक अपराधी की तरह ही होगा
एक अन्य छात्र ने कहा की अगर ये लोग जातिवाद के इतने ही खिलाफ है मानवता के इतने पक्षधर है तो ये ब्राह्मणों द्वारा लिखे उन सभी ग्रंथो को क्यों नहीं जलाते जो दलितों मूलनिवासियो के खिलाफ क्रूरता की वकालत करते है मनुसिमृति को पहले भी जलाया जा चुका है और उसको एक बार फिर जला दो उससे कोई फर्क नहीं पढता
दरसल सरकार संघ जे एन यु को ही न्यूज़ में रखना चाहती है और पुरे देश का ध्यान रोहित वेमुला की हत्या से हटानी चाहती है