Apni Dukan

Saturday 16 April 2016

“”चुर्रेट चुर्रेट मुट्ठी से सिक्का बाहर”” एक मंजा हुआ मदारी है केजरीवाल ,जो एक ही सिक्के को बार बार मुट्ठी निकाल कर दिखा रहा है ,दिल्ली की जनता मुर्ख नहीं है

जन उदय : आपने सडको पर मोहल्लो में मदारी देखे  होंगे जो अपनी खाली हथेली दिखा कर फिर उसमे जमीन से मिटटी उठा कर रखता है फिर एक डंडे से चुर्रेट चुर्रेट करके मन्त्र पढ़ता है और और फिर मुट्ठी खोल कर सबको सिक्का दिखाता है , सबको जादूगर लगता है , जिसमे अक्ल भी होती है वह दर्शक भी समझ तो  जाता है की ये मदारी सबको बेवकूफ बना रहा है लेकिन बावजूद उसके वो भी उस मदारी का खेल बड़े ही आनंद से देखता है .

दरअसल अरविन्द केजरीवाल एक ऐसा ही मदारी है  जो दिल्ली की जनता को इसी तरह चुर्रेट
चुर्रेट  करके नए नए शो दिखा रहा है  कभी ओड- इवन कर  कभी महाराष्ट्र में पानी भेजने के नाम पर
वैसे कोमन सेन्स की बात है की जिस दिल्ली के पास खुद के लिए अपना पानी नहीं है वो महारष्ट्र में कैसे भेजेगा पानी ??

खैर  आरक्षण विरोधी सेना का सेनापति  आज अम्बेडकर के चरणों में पड़ा है और बोल रहा है की हम अम्बेकर को अपने स्कूलों में  पढ़ायांगे सवाल यह है की केजरीवाल जी आप बिलकुल न पढाओ अम्बेडकर को ये सब सगूफे न छोडो सबसे पहले जिन सरकारी स्कूलों में दलित बच्चे पढ़ते है उन सरकारी स्कूलों की हालत सुधारों जहा पर टीचर नहीं है और जो थे उनको आपने निकाल दिया आपके घर के बाहर दिन रात इन शिक्षको का पदर्शन होता है

दूसरी बात केजरीवाल को जो दिल्ली में बहुमत मिला उसके मुख्य कारण दिल्ली में व्यापत  भ्रष्टाचार था  आपने कहा था की आप शीला दीक्षित के खिलाफ , सुरेश  कलमाड़ी के खिलाफ केस करेंगे और उन्हें जेल भेजंगे  लेकिन ऐसा नहीं हुआ

आपने लोकपाल का शगूफा भी छोड़ा था लेकिन उसका भी कुछ नहीं हुआ
और अब केजरीवाल जी ५२४ करोड़ के सालाना विज्ञापनों के खर्च को मनीष सिसोदिया के साले की एजेंसी के जरिये अपने खुद के प्रचार पर खर्च कर रहे है और वो भी  बेतुकी बातो के लिए

केजरीवाल ने अपने रिश्तेदारों को  और अपने चहेतों को मलाई वाली पोस्ट पर बिना किसी योग्यता के बिठाना शुरू कर दिया है उन्हें नीली  और लाल बत्ती की गाडिया बांटी है

तकनिकी रूप से जो पैसा बिजली सब्सिडी  के रूप में दिया जा रहा है वह बिजली कम्पनियो पर सरकार का ही उधार है जिसे आप बर्बाद कर रहे है
कुल मिला कर अरविन्द केजरीवाल दिल्ली की जनता को मूर्ख न समझे  चुनाव आने दो फिर सब पता  चल जाएगा