श्री श्री रवि शंकर ने
सत्ता के करीब होने का भरपूर फायदा उठाया इसलिए संघियो के साथ मिलकर सरकारी ताम
झाम की मदद से ब्राह्मण संस्कृति को फैलाने का
काम कर रहे है .
लेकिन जैसे ही इस महोत्सव
पर विवाद हुआ और यह साबित हो गया उसी समय राष्ट्रवादी लोगो ने इस महोत्सव का
बहिष्कार करने का मन बना लिया क्योकि जो साधू संत कहने को अपने आपको साधू संत कहता है लेकिन इसके कार्य समाज विरोधी तत्वों जैसे है , उधाहरण के लिए इसके उपर कोर्ट ने पांच करोड़ का
जुर्माना लगाया लेकिन रवि शंकर ने कहा की वो जुर्माना नहीं
भरेगा
अब रवि शंकर से कोई ये पूछे
की जब आप अपने देश के कानून की इज्जत नहीं
करते तो आप कैसे महान हो गए , इस बात से तो पुरे देश में ये संदेश जा रहा है की ये
धर्म और संस्कृति के नाम पर कुछ भी करेंगे और आपको कुछ नहीं होगा .
मीडिया के लोगो ने सिवाय
कुछ पिछलग्गू मीडिया ने इस महोत्सव और रवि
शंकर का बहिष्कार कर दिया है और वहा जिस मात्रा में
कहा जा रहा था वहा पर लोग हजारो की
संख्या में भी नहीं है कुल मिला कर
यह अरबो रूपये का खेल है जो संघ और रवि शंकर मिल कर खेल रहे है