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Saturday 23 April 2016

जानिये कैसे धर्म की आड़ में छिप जाती है मानसिक विक्ष्प्ता : ब्राहमणों के धर्म ग्रन्थ है मूल कारण

जन उदय : जब से इस प्रथ्वी पर इंसान  बना है उसके अंदर तरह तरह के  डर और मानसिक विकार पनपने लगे और ये मानसिक विकार और  विक्रित्या उन लोगो ने जयादा फैलाई जो लोग इंसानों को एक अजबनबी डर दिखा कर समाज पर अपना कब्जा ज़माना चाहते थे ,
इसी तरह के लोगो ने कई धार्मिक ग्रन्थ लिखे और यह कहा की ये भगवान् के संदेश है जिन्हें उन्होने बड़ी तपस्या के बाद  सूना है ,भोले भाले लोग जो तर्क नहीं कर सकते थे और किसी भी अनहोनी से डरते थे उन्होंने ये मान लिया की ये सब भगवान् ने कहा है , आइये जानते है ये मानसिक विक्षिप्ता क्या है

मूर्ति पूजा ;  भगवान् है कहा है कैसा है , कैसा दीखता है , ये सब दिखाने के लिए धूर्त लोगो ने भगवान् की एक तस्वीर बना दी या मूर्ति बना दी और ये प्राय आदम आकार से बड़ी और शास्त्र के साथ होती थी , बड़ा ही अजीब लगता  है की जो मूर्ति  अपनी खुद रक्षा नहीं कर सकती , अपना दिया नहीं चला सकती   उसके सामने एक धूर्त के कहने पर सब लोग हाथ जोड़ कर खड़े हो जाते है और याचना करते है ,  इन्ही मुर्तियो का रूप १९वी शताब्दी में राजा रवि वर्मा ने तस्वीरो में किया  इसके बाद रंग बिरंगे  तरह तरह के भगवान् प्रचलन में आ गए ,

स्वर्ग में पितृ भूखे है या गुस्सा है : या सब जानते है आदमी के जीवन में  उतार  चढाव  आते जाते रहते है धूर्त लोगो ने बताया की ये उतार चढाव इसलिए आते है  क्योकि आपके पितृ स्वर्ग में भूखे है इसलिए उनके लिए कुछ करो , सिर्फ इस कारण किसान , गरीब लोग कर्जा लेते थे  और फिर कर्ज में डूब जाते थे इसके बाद एक पीड़ी के बाद दूसरी पीड़ी गुलाम बन जाती थी
बलि प्रथा : आपकी किस्मत इसलिए नहीं खुल रही है क्योकि आपने इस भगवान् को बलि नहीं चढाई सो कभी मानव बलिया दी गई और आज  भी दी जाती है , किसी की सन्तान नहीं हो रही , या धनवान नहीं बन रहा उसके लिए मानव बलि या जानवर बलि देने के प्रचलन है
भूत प्रेत का चढना : अक्सर अखबारों में टीवी में आता रहता है की फला औरत पर काली चढ़ गई है उस पर भैरो  बाबा आ  गए है उसको गाव में घसीटा जाता अहै कई बार औरत या बच्चो की हत्याए भी हुई है इसी बात  को लेकर 

इसी रह की लाखो मानसिक  विक्षिप्ता है जो धर्म और भगाव की आड़ में छिप जाती है एक  मनोवैज्ञानिक सर्वे में यह साफ़ हो गया है की भारत के ९९.२५ % लोग मानसिक रोग से शिकार है और जिसमे हिन्दू कहे जाने वाले लोग १०० % मानसिक रोग से पीड़ित है , यह भी सामने आया है की नास्कित लोग जयादा बुद्धिमान और सफल है ,

तथाकथित हिन्दू  बचपन से ही ये बीमारिया   संस्कारों के नाम पर अपने माता पिता  से ले लेते है उन्हें पता भी नहीं चलता है की वो मानसिक रोग का शिकार हो  रहे है , ऐसे लोगो का मनोबल काफी कमजोर होता है और बार बार , हर बात में सहारा ढूंढते है , अपने आप खुद कुछ नहीं कर पाते मानसिक विक्रित्या चाहे लड़के लड़की के भेद करने की क्यों न हो ये भारतीय समाज में बहुत जयादा है
धर्म के नाम पर संन्यास के नाम पर जन्मी मानसिक विकृति इंसान को कामचोर  और निठल्ला बना देती है हिन्दुओ के साधू , सन्यासी सभी इसी मानसिक रोग का शिकार है हलांकि इस रोग के जरिये ये लोग जयादा पैसा और दौलत कमा लेते है  , और पैसा कमाने के चक्कर में ये साधू कई बार अपराध भी करते है