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Thursday 14 April 2016

ब्राह्मण चल पड़े है आतंकवाद की राह पर

जन उदय :  आर एस एस की स्थापना ब्राह्मणों के हितो के लिए हुई थी उसके लिए चाहे जो भी रास्ता क्यों न अपनाना पड़े , यही हुआ भी  ब्राह्मण अंग्रेजी शासन में इस तरह समा गए की देखने में तो लगता था की अंग्रेज शासन कर रहे है लेकिन अंदर से इनकी शक्ति ब्राह्मण ही हुआ करते थे जो नौकरशाह के रूप में काम करते थे , इन्होने उस वक्त भी एक काम बड़ी चालाकी का किया  कि  ब्राह्मणों के हितो की रक्षा के लिए इन्होने अन्य स्वर्ण और ओ बी सी को अपना हथियार बनाया जो मुसलमान और इसाई से लड़ सके

आजादी के बाद  भी जब इनका सपना पूरा नहीं हुआ की सारी सत्ता इनके हाथ में आ जाए तो इन्होने फिर से हिन्दू मुसलमान  मुसलमान विदेशी और खुद को भारतीय बताना शुरू कर दिया  जब की इनके पूर्वज ये बात पहले ही साबित कर चुके थे कि ये लोग भी विदेशी हमलावर है

खैर सत्ता बदली  यानाही लेकिन ब्राह्मणों का वर्चस्व जारी रही रहा राजनीती से लेकर नौकरशाही में ये लोग काबिज रहे और दलित उत्पीडन में भी लगातार रहे क्योकि वही एक ऐसी सत्ता थी जिससे इनको बहुत डर  था , इसलिए दलितों के लिए अशिक्षा  अन्धविश्वास , हिन्दू शब्द का इस्तेमाल अक्र्ते रहे , यानी खुद दलितों का उत्पीडन और मुस्लिम से दंगो में इनकी मौत  चलती रही

धीरे  धीरे दलित ओ बी सी में चटनाआती रही और विशेस रूप से  १९९१ में मंडल  कमिसन की रिपोर्ट के बाद जिसमे यह साबित हो गया की जो ब्राह्मण समाज के एक बहुत बड़े वर्ग को आरक्षण के नाम पर भडकता  रहा है  दरसल  वही है जो दलितों का भी और ओ बी सी का भी सारा हिस्सा खा गया है

बस यही से ब्राह्मणों में खौफ  भर गया है  आज वह समझ गया है की आने वाला वक्त ब्राह्मणों के लिए नहीं रहा है  जो समझदार ब्राह्मण है उन्होंने जातिगत परिवर्तन को स्वीकार लिया है  लेकिन गरीब , माध्यम वर्गीय  ब्राह्मण जो अ भी आदिकाल में जीता है  उसको लगता है की सब कुछ उसका है वह जो कहेगा वही सच है , यह वर्ग खुद भी नहीं  जानता की उसी का ही ब्राह्मण भाई जो उच्च स्तर पर पहुच गया है उसका भी हक खा गया है 

यही कारण है आज वह दलितों में आणि वाली हर चेतना , हर अधिकार की आवाज को अपना दुश्मन मानता है  इसलिए कभी दलितों को गुमराह करने के लिए  नय नय प्रपंच रचता रहता है कभी गोमांस , कभी देशभक्ति , कभी राम मंदिर , कभी कुछ   अह ब्राह्मण इन आंदोलनों के  जरिये अपना वर्चस्व काम रखना चाहता है  और जब ऐसा नही हो पाता  तो खून खराबा , हथियार  पर उतर आता है

हालांकि हथियारबंद नियन्त्र  के लिए पहले भी  बिहार में  कई गाव  जला चुके है , आये दिन दलितों की हत्या , बलात्कार  सब इन्ही लोगो के नाम है

इससे यही लगता है की आने वाले वक्त में दलित ओ बी सी बढ़ जाएंगे , जीवन में आगे बढ़ जाएंगे  और ये अपनी सत्ता  जमाने के लिए आतंक  का ही सहारा लेंगे क्योकि  इनका आज भी किसी भी लोकतांत्रिक  मूल्य में विशवास  नहीं है  सो आगे भी नहीं रहेगा ऐसा ही प्रतीत  होता है