नई दिल्ली।
भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद (ICHR) ने दिल्ली यूनिवर्सिटी की एक अहम मांग को खारिज कर दिया है। विश्वविद्यालय के
संस्कृत विभाग ने एक प्रोजेक्ट में यह साबित करने की कोशिश की थी कि आर्य बाहरी
आक्रमणकारी नहीं, बल्कि स्वदेशी
यानि भारतीय ही थे। लेकिन यह मामला जब भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद (ICHR)
के सामने आया तो उसने इस तथ्य को मानने से साफ
इंकार कर दिया। इस घटना के बाद बीजेपी की अगुवाई वाली केंद्र सरकार ने इस मामले से
संबंधित चल रहे प्रोजेक्ट के तहत होने वाले सेमिनारों आदि की फंडिंग पर रोक लगा दी
है।
अधिकारिक सूत्रों
का इस बारे में कहना है कि ‘The
crux of chronology of Sanskrit literature and out of India theory’, के टाइटिल से प्रोजेक्ट की डिटेल्स 28 मार्च 2015 को यूनिवर्सिटी को भेजी गई थीं। इसके बाद जुलाई में दिल्ली
विवि ने इसे ICHR को फॉरवर्ड कर
दिया था। उस वक्त ICHR ने इस मामले पर
सहायता करने का आश्वासन दिया था, लेकिन गत दिसंबर
में इसे रिजेक्ट करने की जानकारी दी गई।
इस मामले में
संस्कृत विभाग का कहना है कि मार्च में कॉफ्रेंस आदि के आयोजन के लिए हमारे पास
फंड नहीं है। विभाग का यह दावा है कि इस प्रोजेक्ट पर देशभर के स्कॉलर्स ने रिसर्च
कर साबित किया है कि आर्य विदेशी और लुटेरे नहीं बल्कि भारतीय थे। हालांकि यहां यह
भी उल्लेखनीय है कि भारत के लिखित इतिहास के मुताबिक यह पहले ही साबित हो चुका है
कि आर्य विदेशों से आए आक्रमणकारी थे। उल्लेखनीय है कि वैदिक लिट्रेचर की पहली
कॉफ्रेंस सितंबर 2015 में एमएचआरडी के
अंडर आने वाले एक संस्थान में आयोजित की गई थी।
न्यूज़ सोर्स : नेशनल दस्तक