जन उदय : होली कोई पवित्र
त्यौहार है यह कहना अब बिलकुल संभव नहीं
है इसके दो कारण है सबसे होली के अवसर पर
ऐसा कुछ नहीं होता जो पवित्र हो दूसरा शोध
के जरिये ये मालूम हो गया है कि होली आर्यों और
अनार्यो के बीच युद्ध में हुई आनार्यो की हार के उपलक्ष में मनाते है
अनार्य मतलब भारत के मूल
निवास और आर्य मतलब विदेशी हमलावर जो आज
कथित रूप से स्वर्ण और उच्च जाति के
कहलाते है .
खैर इतिहास क्या है क्या नहीं ये सब तो बाद के चर्चा
की बाते है लेकिन एक सबसे बड़े दुःख की बात यह है की होली के नाम पर रंग लगाना पानी से भोगोना उसे अश्लीलता करना , नशा करना
यह अब आम बात हो गई है
यह देखा गया है स्कूल कोलेज
, यूनिवर्सिटी के लड़के लडकिया इस अवसर पर पार्टी आयोजित करते है और इस पार्टी में नशे का खूब प्रबंध होता है औ इस नशे में क्या क्या हो सकता है या आप सभी कल्पना कर सकते है , कई
मामलो में बलात्कार तक की रिपोर्ट आई है
अश्लीलता , लडकियो के अंगो
को रंग लगाने के बहाने उनके शील को भंग
किया जाता है , यानी की ये रंग और पानी
उनकी मर्जी के खिलाफ उनके शरीर पर डाला
जाता है , किशोर लड़के बसों
में कारो
में , रेल में गुब्बारे मारना पत्थरबाजी करना ये भी आम बात है
इसके अलावा होली के अवसर पर
अश्लील गाने बजाना ये भी एक बहुत बुरा
फैशन है ,अब जैसे एक हिंदी फिल्म का गाना
सुनिए , लोंगा इलायची का बीड़ा लगाया , चाबे गोरी का यार बलम तरसे
इस गीत में देखिये
खाता , दबाता , चबाता ,पीता हर काम
गोरी का यार करता है तो
बलम क्या हाथ में दूध का गिलास लेकर
खड़ा रहता है ??
होली के दिन लड़ाई झगडे तो
वैसे भी अब आम बात हो गए है ,