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Saturday 19 March 2016

खायगा , चबायागा ,दबायगा गोरी का यार , बलम दूध का ग्लास लेकर खड़ा होता है होली पर ठर्कियो के गीत

खायगा , चबायागा ,दबायगा गोरी का यार ,  बलम दूध का ग्लास लेकर खड़ा होता है
होली पर ठर्कियो  के गीत

अश्लील  गाने चलते है होली को जिसमे महिलाओं को पापिन  बताया जाता है
होली से जुडी  बुराइया  ठीक उसी तरह है है जिस तरह बनाने वाले ने इस होली के षड्यंत्र को रचा 
इसके नाम पर जो कार्यक्रम होता है वह अपने आप में एक अशोभनीय  और गंदा होता है
रंगो  और पानी से तो स्वास्थ पर  तो असर पढता ही है  साथ ही मानसिक रूप से कुछ इससे जिद कुछ विक्षिप्तात्ये है

उधाहरण के लिए इसके अलावा होली के अवसर पर अश्लील गाने बजाना  ये भी एक बहुत बुरा फैशन है ,अब जैसे एक हिंदी फिल्म का गाना  सुनिए , रंग बरसे  चुनर वाली रंग बरसे
इस गीत में जब लोंगा इलायची का  बीड़ा  जब लगाया  जाता है  तो उसे  गोरी का यार खाता है
बेला चमेली का सेज सजाया  तो भी गोरी का यार सोता  है

इस गीत में  देखिये  खाता , दबाता , चबाता  ,पीता   हर काम  गोरी  का यार करता  है 
तो बलम क्या हाथ में दूध का गिलास  लेकर खड़ा  रहता है ??
इस गीत में एक महिला को पतित करके दिखाया  गया है   और मर्द जो की मर्द है नहीं  फिर भी वह शरीफ है

इसी तरह  दुसरे गीत में देखिये  आज  न छोड़ेंगे तुझे हमजोली  चाहे भीगे  तेरी  चुनरिया चाहे भीगे  चोली
यानी लड़की की चोली   चारी जरूर भिगायंगे   , संस्कृति के नाम पर ये अश्लीलता  को खत्म करना होगा