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Saturday 19 March 2016

इस्लाम देता है आतंकवादी बनने की शिक्षा ?


आइन्स्टाइन  ने एक बार कहा था की “”इस्लाम दुनिया का सबसे बेहतरीन महज़ब है , और मुसलमान दुनिया  की सबसे गन्दी कौम “”  इनका  यह कथन दुनिया में ही नहीं भारत में मुसलमानों की उपर पूरी तरह से फिट बैठता है . हालांकि  दुनिया के सभी देशो से भारत के मुसलमानों की दशा जयादा  बेहतर है लेकिन जो होना चाहिय  था  उसका अभी पूरा एक प्रतिशत भी नहीं  है

इसके मुख्य कारण  है
अशिक्षा : इस्लाम में शिक्षा पर बहुत जोर डाला  गया है वह भी बिना किसी लिंग भेदभाव के , कुरआन में कहा गया है कि अगर शिक्षा के लिए चीन देश  भी जाना पड़े तो जाना   चाहिए , अब हमारे मुसलमान   विद्वान इसको  सिर्फ  दुरी से ही जोड़ते  है   जबकि  इस मतलब यह है की  दुरी और  मुशिकले चाहे  जो भो  हो , हालात जो भी हो ,शिक्षा  जरूरी  है   लेकिन भारत में  आलम यह है की मुसलमानों की शिक्षा  ३ % से जयादा  है ही नहीं .  ये बेवकूफ इतना  नहीं समझ पाते की जब इनको कुरआन पढने के लिए बाध्य किया गया है  तो  कुरआन पढने का मतलब यह नहीं की कुरआन को सिर्फ अरबी में पढ़ लिया जाए  बल्कि इसका मतलब है  इसके ज्ञान को समझा जाए , लेकिन हमारे  मुसलमान भाई  और इनके मुल्ला  , मौलवी  बस  इसी बात पर जोर डालते है की कुरआन  को पढ़ लिया जाए  या रठ  लिया जाए 
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जातिवाद : भारतीय  ब्राह्मणों से प्रेरित हो कर मुलामानो में एक बहुत बड़ी समस्या यह भी आ गई है की इनमे जातिवाद हिन्दुओ की  तरह  कूट  कूट कर भर गया है , कमाल की बात यह है की कई ऐसे सारे मामले सामने आये है की जाति के नाम पर कत्ल तक हुए है  ऑनर किलिंग तक हुई है जबकी इस्लाम का मूल उदेश्य  समानता और  भाईचारा  है  , लेकिन अपने आप को शेख , पठान  बता कर  मुसलमान खूब इतराते  है

दहेज़ : दहेज़ की ऐसी हिन्दुओ की समस्या है जिसको तथाकथित  हिन्दू समाज काफी समय से झेल रहा है  इसका कारण  है हिन्दुओ में  बेटी को बौझ मानना  और उसका विवाह  करने के बाद स्वर्ग की प्राप्ति , हालांकि यह भी किसी भी प्राचीन ग्रन्थ जो ब्राह्मणों  ने लिखे है उनमे  नहीं मिलता , मुसलमान भी अब इस प्रथा  को खूब आगे बढ़ा  रहे है और दहेज़ ले कर दे कर खूब फुले समाते है

आर्थिक समानता : इस्लाम का सबसे बड़ा और  अहम्  पिलर  है समानता इसमें आर्थिक भी शामिल है  , इस्लाम में तो यहाँ तक कहा गया है की आप शाम को खाना खाने से पहले  पड़ोस में यह जांच ले की पड़ोस के घर में  चूल्हा जला है या नहीं ,  इसका मतलब भी मुसलमान समझ नहीं पाते  चूल्हा कब नहीं जलेगा ??  घर में खाना  नहीं होगा  या कोई दुःख होगा   तो ऐसे में पड़ोस का फर्ज निभाते हुए  उसके हर दुःख में शामिल हो जाइए , यहाँ गोर करने वाली बात है दुःख तकलीफ में .
 लेकिन अब तो ऐसा होता है की औरते  किसी दुश्मन के लिए कहती है मैंने अपने फला पडोशी के लिए नमाज़  पढ़ पढ़  के उसकी मौत की दुआ मांगी है .. हंसी आती है दुःख भी होता है
इसके अलावा  सदका , फितना  ये ऐसे आईडिया है इस्लाम में  जो मुसलमानों की गरीबी दूर कर सकते है इनमे खुशहाली ला सकते है  लेकिन अज्ञानी मुसलमान नमाज़ पढ़  के रोजा  रख के   दुनिया को बताते फिरते है और अल्लाह पर अहसान करते रहते  है , और अल्लाह की हिफाजत के लिए दंगे करेंगे , हथियार उठायंगे .. ऐसा लगता है अगर ये लोग रोजा  नमाज़ न पढ़े  तो अल्लाह रहेगा ही नहीं ..

अब इससे बड़ी अज्ञानता क्या होगी