जन उदय : दिल्ली और बिहार की
हार ने उस धारणा और भ्रम को खत्म कर दिया जिसमे कहा जा रहा था मोदी लहर चल
पड़ी , वैसे खुद मोदी को संघ के इस प्रोपगेंडा पर विशवास हो चला था की उसके नाम की
कोई लहर चल पड़ी है . लेकिन बिहार और दिल्ली ने इस बात को झूटा साबित कर दिया जैसा
की यह झूट था भी
संघ को पहले यह भी विशवास
था की अगर सारे स्वर्ण उनके साथ हो जाए तो पुरे देश पर कब्जा कर लेंगे क्योकि
मुसलमानों को एक तरफ करने के लिए संघ ने ओवेशी को ड्यूटी पर लगा दिया था इसलिए मोहन भागवत ने आरक्षण खत्म करने का अपना दाव चल दिया
जो बिलकुल खाली गया
अब नरेंद्र मोदी को यह
चिंता होने लगी है की कही ऐसा न हो दिल्ली बिहार संघ सम्राज्य के अंत की शुरुआत बन
जाए क्योकि बिना दलितों के कुछ भी नहीं हो सकता
इसलिए अब नरेंद्र मोदी ने
मगरमच्छ के आंसू बहाना शुर कर दिया है यह कह कर की अम्बेडकर एक विश्व पुरुष
थे उन्हें किसी राष्ट्र या जाति में न
बाँधा जाए और आरक्षण कभी खत्म नहीं होगा
आरक्षण खत्म होगा या नहीं
ये बात अलग है क्योकि इसको ऐसे समाप्त किया ही नहीं जा सकता दूसरा अगर मोदी को इतना ही दलित प्रेम हो गया
है तो यु पी बिहार में लगातार दलित बस्तिओ
को आग लगाईं जा रही है पहले ऐसे अत्याचार रोके न की नौटंकी करे