जन उदय : महाराष्ट्र के कई
इलाको में पानी की इस हद तक कमी है लोगो को कई कई दिनों तक लोगो को पिने का पानी
नसीब नहीं हो रहा है , हर साल ९००० हजार
से जयादा किसान आत्महत्या कर रहे है जिसका
मुख्य कारण किसान की फसल की बर्बादी
जिसके कारण कर्ज की वापसी नहीं
ये बात गौरतलब है की
महाराष्ट्र में पानी का भारी संकट है जिसका कारण है की कई बाँध और जलाशय में पानी
की काफी कमी है लेकिन पानी की कमी से जयादा प्रभवित इलाके लातूर , वर्धा , अमरावती ऐसे इलाके है जहा पर दलित बाहुल्य लोग रहते है
, बाकी इलाको में पानी की वैसी कमी नहीं है जैसी की इन दलित इलाको में
कमाल की बात यह है की इन्ही
इलाको में पानी के टैंकर के माफिया छाये हुए है उसमे भी कमाल की बात यह है की ये
पानी के टैंकर सिर्फ और सिर्फ स्वर्ण चला
रहे है , जिन पर कोई कार्यवाही नहीं हो
रहे है और ये लोग अपने धडल्ले से चला रहे है
हालांकि पानी की कमी से महारष्ट्र
के कई इलाको में धारा १४४ तक लगानी पड़ी है लेकिन बावजूद इसके कोई सुधार नहीं हो पा
रहा है ,
इसके कई मुख्य कारण है की आजादी के बाद से ही इन इलाको में पानी की कोई
सही वाव्स्था स्थापित जानबूझ कर नहीं की
गई इसका मुख्य कारण यही है की पानी की कमी से प्रबावित होने वाले इलाके जयादातर
दलित है , जिनसे सरकार को कोई सरोकार नहीं है , कोई मरे या जिए
इसकी एक और बात यह है की महाराष्ट्र में पानी की सही वाव्स्य्था
को सही करने के लिए यूनाइटेड नेशन ने लाखो
डॉलर फण्ड दिया लेकिन नेताओं ने जानबूझ कर इस फण्ड का
इस्तेमाल नहीं किया क्योकि इसका फायदा
सिर्फ दलितों को था , सो हार कर यूनाइटेड
नेशन ने ये फण्ड बंद कर दिया