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Tuesday 5 April 2016

आज भी दलितों के कान में शीशा पिघला कर डाला जाता है अगर मांगते है शिक्षा

जन उदय : सब लोगो ने ब्राह्मणों के उस साम्राज्य की बात तो सुनी होगी की जब दलितों को शिक्षा के लिए मनाही थी और  अगर गलती से भी कोई दलित / शुद्र स्कूल के पास से गुजर जाए और उसके कानो में कोई ब्राह्मणों का मन्त्र पड़  जाए तो उस शुद्र के कानो में शीशा पिघला कर दाल दिया जाता  था .

देश के एक बड़े   इतने बड़े समाज को ब्राह्मणों ने केवल शिक्षा  से वंचित करके गुलाम बना कर रख लिया   इसी अशिक्षा की वजह से ये मानसिक रूप से भी गुलाम हो गए और शुद्रो की ये गुलामी सदीओ तक चलती रही . यानी एक वक्त के राजा अपने ही देश में इन  विदेशी ब्राह्मण आक्रमंकारियो  के गुलाम बन गए .

शुद्रो की गुलामी सुनिश्चित   रहे  ब्राह्मणों ने इस देश में राज करने वाले वाले  , या राज करने के लिए आने वाले हर देशी विदेशी वर्ग को अपना समर्थन  दिया , और शासन करने में मदद की

शिक्षा  पर ब्राह्मणों के एकाधिकार को तोडा तो लार्ड मैकाले ने जिसने शिक्षा में सभी वर्गो को पढने का सामान अधिकार दिया  , इस पर ब्राह्मणों को बहुत अफ़सोस हुआ , खैर  इन अंग्रेजो को भी ब्राह्मण  बाद में मदद करते नजर आये

आजादी के बाद  ये ब्राह्मणों की  मजबूरी  हो गई क्योकि   डॉ  भीम राव अम्बेडकर ने पूना पैक्ट में अपने लिए सारे  अधिकार ले लिए थे लेकिन धूर्त ब्राह्मणों  ने इस पर भी चाल चली  लेकिन इतने कामयाब नहीं हुए और बाबा साहेब ने समानता  के साथ साथ सविंधान में  ही सरकार को मजबूर कर दिया की  सरकार सबको शिक्षा दे , लेकिन ब्राह्मणों को ये भी मंजूर नहीं था इसलिए इन्होने शिक्षा को निजी और सरकारी दो भागो में बाँट  दिया यानी गरीब / शुद्र  और निजी उच्च   जाति  इरादा  था ऐसा करने के पीछे की सरकारी खराब शिक्षा से ये शुद्र उपर नहीं उठ पायंगे  और इनका वर्चस्व हर चीज पर बना रहेगा, जैसा की हुआ भी लेकिन शुद्र के मेघावी बच्चे आगे निकलने लगे , और जीवन के हर क्षेत्र में आगे आने लगे , बावजूद इसके की ब्राह्मणों ने खूब बेईमानी  की  धोखे  दिए   लेकिन फिर भी शुद्र  आगे आ गए

अब ब्राह्मणों के पास एक ही रास्ता  बचा  की भारत की उस शिक्षा वाव्य्स्था को बिलकुल बर्बाद कर दिया जाए ताकि ये दलित शुद्र आगे न आ सके  इसलिए धीरे धीरे  शिक्षा का बजट कम किया जा रहा है  , उच्च संस्थाओं  जैसे आई आई टी , मेडिकल में फी बढाई जा रही है  और निजी कॉलेज को प्राथमिकता  दी जा रही है इसके अलावा उच्च शिक्षा में आने वाले दलित और ओ बी सी न आ पाए इसके लिए यु जी सी के द्वारा दी जाने वाली फेलोशिप बंद करने जा रही है यही नहीं यु जी सी का सालाना बजट इस बार ५५ % कम कर  दिया गया है , पुरे देश में  पिछले  दो सालमे ३ लाख से जयादा  सरकारी स्कूल बंद कर दिए गए है

और सबसे बड़ी  बात की सरकारी स्कूलों में ९वी कक्षा तक फेल न करने की निति  से भी  शिक्षा  तो बर्बाद हो  ही  रही है  बल्कि ब्राह्मण  टीचर  इन स्कूलों में जानबूझ कर दलित  छात्रो को  तीन विषय में  फेल कर रहे है  और इनको पास करने के लिए एक हजार रूपये  प्रति विषय  लिया जा  रहा है

रोहित वेमुला  , डेल्टा की संस्थानिक हत्या  और अन्य  छात्रो की हत्या ये सब साबित कर रही है


आज से सदीओ पहले जिस  तरह शीशा  पिघला कर डालने का चलन  रहा होगा , अब शीशा  पिघला कर  दलितों के कान में डालने का स्टाइल  बदल  गया है लेकिन काम वही है