जन उदय : ये बहस सदीओ से
चली आ रही है की ईश्वर ने इस दुनिया को बनाया है या दुनिया के लोगो ने ईश्वर को
बनाया है ,समय समय पर ऐसे बहुत सारे लोग आये जिन्होंने ये दावा किया की उन्होंने ईश्वर को देखा है ,उनसे बात
की और वे लोग वही बता रहे है जो इन्हें
ईश्वर ने बताया है समझया है
ज्ञान और तर्क हीन लोग क्या करे तो ऐसे ही लोगो पर
विशवास कर लेते थे , और तर्क रहे न रहे ईश्वर ऐसी चीज है जिससे सब डरते है , लेकिन
इस डर और विशवास ने इंसान के व्यक्तित्व में कुछ खामिया पैदा की है जिसके बारे अब ने ने शोध होने लगे है
अमेरिका , कनाडा , यूरोप के
कई देशो में लगातार उन उन लोगो पर शोध
हो रहे है जो इश्वर में विशवास रखते है और
उनकी तुलना इश्वर के मानने वालो से की तो रिजल्ट बहुत चोंकाने वाले सामने आये
१.
आस्तिक लोग डरपोक होते
है उनके अंदर तरह तरह के डर भरे होते है ,
कही कोई मर न जाए , कही घर में चोरी न हो जाए , रास्ते में कोई उसकी बहन बेटी का
बलात्कार न हो जाए जबकि नास्तिक लोग इस
तरह के डर से दूर होते है और आशंकाओं को वाव्हारिक तर्क से तौलते
है
२.
जहा तक मानवता की बात है यह
देखा गया है की हर छोटे मोटे अपराध आस्तिक लोग जल्दी कर देते है वह भी ईश्वर का
नाम ले कर जब की नास्तिक लोग भी इसको
वाव्हारिकता में ही लेते है
३.
आस्तिक लोग परजीवी होते है
ये लोग मानसिक रूप से इतने पिछड़ जाते है की इनको बार बार पूजा पाठ करनी पढ़ती है ,
शुभ अशुभ मानते है और अपने कार्य करने का निर्णय तक धार्मिक विधि से ही लेते है ,
जबकि नास्तिक लोग आत्म्विशाव्स से भरे होते है ,स्थितियो का जायजा लेते है और अपना
निर्णय खुद करते है
४.
आस्तिकता बहुत सारी सामाजिक समस्याओं को जन्म दे देती है जिसके
चलते आस्तिक लोग भगवान् की मर्जी कहा कर चीजो को टाल देते है भिक्षावृति , वेश्या वृति बाल विवाह , भ्रूण
हत्या ,आदि सब बीमारिया आस्तिक लोगो की वजह से होती है यहाँ तक की भिक्षा वृति दान ये सब बाते धर्म में लिखी है
५.