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Thursday 7 April 2016

वो साली एन जी ओ और महिला आन्दोलन वाली ,देखती है पहले अपना और अपनी जाति का फायदा


जन उदय : न तो भारत में वो वक्त कभी था जब महिलाए स्वंतंत्र रूप से स्वतंत्र विचार के के रूप में एक सामाजिक शक्ति के रूप में सामने आई  और न अब है राजनीति में महिलाओं के लिए सीट आरक्षित  होने के बावजूद इनके पीछे काम इनके मर्द ही करते है और ये सिर्फ कठपुतली बन कर रह जाती है .

 ठीक इसी तरह भारत के महिला आन्दोलन है जो विभिन्न राजनैतिक पार्टियो ने अपने स्वार्थ सिद्धि के लिए खड़े किये हुए है इन आन्दोलन का काम महिला अधिकारों और हको की लड़ाई के नाम पर  महिलाओं को घुमराह  रखना , अँधेरे में रखना  है

भारत में वैसे भी जितने भी महिला आन्दोलन है उन पर सब पर ब्राह्मण बनिया महिलाओं का कब्जा है जो दिखाने को तो महिला मुक्ति के लिए काम करती है लेकिन अंदर ही अंदर ये दलित महिला आन्दोलन नाम का धंधा करती है , दलित आगे न बढ़े ऐसे षड्यंत्र रचती है ''
इन महिलाओं की ख़ास बात यह भी है की ये षड्यंत्र के रूप में सांस्कृतिक कार्यकर्म का आयोजन करती है , बस ये ये कार्यक्रम इनके सारे मकसद पुरे कर देता है

राष्ट्रीय , अन्तेर्राष्ट्रीय स्तर पर दलित महिलाए बहुत कम आ पाती है , जिसका कारण इन दलित महिलाओं की शिक्षा जो एक षड्यंत्र  के तहत इन्हें कोई अंतरराष्ट्रीय भाषा नहीं सिखने देती .
अभी कुछ दिन पहले राजस्थान में बाड़मेर जिले के एक महिला कोलेज में एक दलित लड़की डेल्टा मेघवाल का बलात्कार कर उसकी हत्या कर दी गई  पुलिस प्रशासन  ने इस बात को दबाने के लिए पूरी ताकत झोंक दी है लेकिन सोशल मीडिया की बदौलत ये मुद्दा  पुरे देश में छाया  हुआ है लेकिन फिर भी कोई भी महिला आन्दोलन वाली बाई , संस्था इस लड़की को इन्साफ दिलाने के लिए आगे नहीं आया है

आप हद देख सकते है की अपने आपको  राष्ट्रिय मीडिया कहने वाला  यह मीडिया लगातार इस बात को छिपा  रहा है और राजनैतिक स्तर पर भाजपा इस मुद्दे को दबाने के लिए कभी भारत माता , कभी कुछ अनर्गल मुद्दे  निकाल कर सामने ला रही है

 दलितों से भेदभाव  इसी से पता चलता है की  हालात डेल्टा के है की डेल्टा की लाश  को अस्पताल भी कचरा ढोने की गाडी में ले जाया गया डेल्टा के पिता की शिकायत  के बावजूद पुलिस सही ढंग से कार्यवाही नहीं कर रही है


सरकार ,पुलिस ,प्रशासन , में बैठे सभी जातिवादी लोग मामले को दबाने में लगे है