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Wednesday 4 April 2018

देश आरएसएस का झूठ उजागर परिवार वाले बोले,राजगुरु कभी नहीं थे संघ के स्वयंसेवक



राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) को देश की आजादी के लिए जान देने वाले शहीद राजगुरु को संघ का स्वयंसेवक बताना महंगा पड़ गया है,दरअसल, आरएसएस के इस दावे को राजगुरु के परिजनों ने पूरी तरह से नकार दिया।

क्रांतिकारी राजगुरु के भाई के पौत्रों सत्यशील और हर्षवर्धन राजगुरु ने बीते सोमवार को पुणे में कहा, ‘इस बारे में कोई सबूत नहीं है कि राजगुरु आरएसएस के स्वयंसेवक थे और न ही हमारे दादा ने कभी हमें इस बारे में बताया।
उन्होंने एक मराठी समाचार चैनल से कहा, ‘हालांकि यह सही है कि नागपुर में उनके (राजगुरु) संक्षिप्त प्रवास के दौरान संघ के एक स्वयंसेवक ने प्रबंध किए थे,सत्यशील और हर्षवर्धन राजगुरु ने कहाराजगुरु समस्त देश के क्रांतिकारी थे और उनका नाम किसी ख़ास संगठन से नहीं जोड़ा जाना चाहिए।

बता दें कि संघ प्रचारक नरेंद्र सहगल ने अपनी किताब में ये दावा किया है,उन्होंने दावा किया कि राजगुरु संघ की मोहिते बाड़े शाखा के स्वयंसेवक थे,उन्होंने किताब में लिखा,नागपुर के हाईस्कूल भोंसले वेदशालाके छात्र रहते हुए राजगुरु का संघ संस्थापक हेडगेवार से घनिष्ठ परिचय था।

इतना ही नहीं किताब में यह भी दावा किया गया है कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस संघ से काफी प्रभावित थे सहगल का कहना है कि इस किताब की मदद से यह साफ करने की कोशिश की गई है कि देश की आजादी की लड़ाई में भी आरएसएस का योगदान रहा है।

इसी बीच हिंदुस्तान टाइम्स से बातचीत में इतिहासकार आदित्य मुखर्जी ने कहा था,बीआर आंबेडकर, स्वामी विवेकानंद और बाल गंगाधर तिलक की तरह राजगुरु को अपना बताना संघ का एक हास्यापद प्रयास है।

भगत सिंह और उनके साहित्यों के दस्तावेज़ नामक किताब का संपादन करने वाले जेएनयू के पूर्व प्रोफेसर चमन लाल ने भी सहगल के इस दावे को ख़ारिज किया है,उन्होंने कहा,इससे पहले संघ की ओर से भगत सिंह को अपना सहयोगी बताने की कोशिश की गई थी इस बात का कोई सबूत नहीं है कि भगत सिंह या राजगुरु संघ में

शामिल थे उनके सहयोगियों की ओर से लिखी गई आत्मकथाओं में भी इस तरह के दावे का ज़िक्र नहीं है।



 Source  Headline  24