जन उदय : १७ दिसम्बर २०१२ का
वह मामले जिस के लिए भारतीय जातिवादी
विक्षिप्त मीडिया ने न सिर्फ भारत के लोगो
को भी गुमराह किया बल्कि विदेशो
में भी इस मामले को सिर्फ इसलिए
पहुचाया क्योकि यह मामला
एक ब्राह्मण लड़की से जुड़ा था
वर्ना महिलाओं की इज्जत करने वाले इस मीडिया
को शायद खबर नहीं की भारत में रोज
लगभग छ
दलित महिलाओं के बलात्कार होते है लेकिन कभी भी इनको इस बारे में चिंता
नहीं होती है .
खैर अब हम रुख करते है
ज्योति पाण्डेय उर्फ़ निर्भया के
केस में जैसे है
सुप्रीम कोर्ट ने मुलजिमो को मौत
की सजा सुनाई तो सब के सब मानवतावादी , प्रगतिवादी महिलाओं
और पुरुष ब्राह्मणों
ने ख़ुशी जाहिर की और कहा की न्याय
हो गया और पुरे देश में यही कहा
गया
कमाल की बता है की पुरे देश क्या पूरी दुनिया को यह बताया गया की
मुलजिमो ने लड़की यानी ज्योति पाण्डेय उर्फ़
निर्भया का बलात्कार करने के
बाद उसके निजी अंग
में एक लोहे की रॉड
डाली और उस रॉड को घुमा घुमा
कर उसके जरिये उसके सारे निजी अंग को बाहर निकाल दिया . यही नहीं सुप्रीम कोर्ट ने
ज्योति पाण्डेय उर्फ़ निर्भया केस में
चार सो पेज के फैसले में
आयरन रॉड शब्द का इस्तेमाल १२ओ
बार किया है जबकि
हकीकत यह है की इस लड़की यानी
ज्योति पाण्डेय का सिंगापोर के जिस अस्पताल में इलाज हुआ उस
अस्पताल की रिपोर्ट यह कहती है की ज्योति
पाण्डेय उर्फ़ निर्भया के निजी अंग सुरक्षित रहे यानी उसमे कोई भी रॉड
नहीं डाली गई और न ही
किसी हथियार से उसको क्षति पहुचाने की कोशिस की गई
कमाल की बता है की दुसरे दिन
से ही भारत का मीडिया आखिर किस बिनाह पर और सुप्रीम कोर्ट तक किस बिनाह पर इस बात का
जिक्र किए जा रहे थे ?? कहने वाले
यह भी कह सकते है की जन उदय किस
बिनाह पर कोर्ट के फैसले और
सबूतों के खिलाफ बोल रहा है ??
तो जन उदय का जवाब है कि इसके पास
सबूत है है और सबूत के
नाम पर भारत ही नहीं दुनिया
की सबसे विश्वसनीय किताब / जर्नल economic % political weekly 3, june 2017 , VOL. LII No. 22 , “Justice or revenge in Nirbhya
verdict by Anand Teltumbde में
इस विषय पर एक शोध लेख
छपा है जिसको आधार बनाया
जा रहा है जिसमे सिंगा पोर के
अस्पताल की रिपोर्ट
का हवाला दिया गया है . और
उसी लेख की स्कैन कॉपी
फोटो के स्थान पर लगाईं जा रही है
आखिर क्या वजह थी मीडिया के
पास ?/
तो वजह साफ़ है इस देश में की ब्राह्मण लड़की का बलात्कार हुआ था जो ब्राह्मण सरकार को रास नहीं आया इसलिए सोच समझ कर तथ्यों को नजरअंदाज कर जातिवादी तरीके से इस खबर को पेश किया गया या
करवाया गया और फैसला दिया गया ... अगर न्याय की दृष्टि
से देखा जाए तो निर्भया उर्फ़ ज्योति पाण्डेय के बलात्कारियो के साथ में न्याय नहीं हुआ बल्कि उनकी सुनोयोजित हत्या
है ये
India Media with the brahman Government mislead the India about Nirbhya Case as all culprit put the iron rod in the private part of Jyoti Singh Pandey / Nirbhya en trailing all internal part of her vagina which 100 % false and lie as per the report of the Hospital in Singapore where Nirbhya was treated mentioned in its report that her private part was intact