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Friday 25 March 2016

ब्राह्मण : मुस्लिम राजाओं के साथ मिल कर रहे थे ऐश ,नहीं थी कोई साम्प्रदायिक समस्या


जन उदय : अक्सर ये कहा जाता है की भारत में मुस्लिम राजाओं के आने से मुस्लिम राजाओं ने हिन्दू को जबरदस्ती मुस्लिम बनाया , मुस्लिम राजाओं ने मंदिर तोड़े  और हिन्दुओ को  प्रताड़ित  किया

लेकिन ने शोध ने यह साफ़ कर दिया है की मुस्लिम काल में भी केवल ब्राह्मणों को कोई खतरा  नहीं था  या कुल मिला कर सवर्णों को कोई खतरा नहीं था  बल्कि मुस्लिम राजा    सदैव  यहाँ की राजपूत और ब्राह्मणों की मदद से शासन करते  रहे

स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय ने एक बयान में कहा है कि उनका (ट्रश्के) शोध जो सामान्य धारणाएं हैं, उससे बिलकुल अलग तरह का खाका खिंचता है। सामान्य धारणा यही है कि मुसलमान हमेशा भारतीय भाषाओं, धर्मों और संस्कृति के प्रति शत्रुतापूर्ण रवैया रखते रहे हैं। 


ट्रश्के का कहना है कि समुदायों को बांटने वाली व्याख्याएं दरअसल अंग्रेजों के दौर 1757 से 1947 के बीच अस्तित्व में आईं।

 एक  अन्य शोध में यह सामने आया है की ब्राह्मणों  और सवर्णों को सामान्यत लगने वाला जजिया कर  भी नहीं लगता था  हलांकि  यह कर   सरकार के राजस्व का एक साधन  होता था
कोई भी शासक रहा लेकिन ब्राह्मणों को कोई तकलीफ नहीं होती थी

“”  BRAHMINS WERE EXEMPTED FROM PAYMENT OF JAZIA. AS THEY APPROCHED THE MUSLIMS KING AND SAID THAT THEY ARE INVADERS LIKE THEM . /////////27. LANEPOOL, MEDIEVAL INDIA, P. 104, HISTORY OF PUNJAB, VOL. III, EDITED FAUJA SINGH, PUNJABI UNIVERSITY, PATIALA, 1972, P. 258
ब्राह्मणों की यह तकनीक अंग्रेजी  काल तक चलती रही  और अंग्रेजो  के भी विशेष  कृपापात्र  रहे थे ब्राह्मण ,

मुस्लिम राजाओं से ब्राह्मणों की गहरी पैठ का एक बहुत  बड़ा  कारण यह भी रहा की मुस्लिम शासको ने तत्कालीन  तथाकथित  सामाजिक वाव्य्स्था को कभी नहीं छेड़ा  और न ही जातिवाद में कोई दखल दिया , बल्कि उल्टा यह हुआ की जो ब्राह्मण  और राजपूत  मुस्लिम राजाओं से करीबी के लिए मुस्लिम बन गए  उन्होंने अपने सर नेम कभी नहीं छोड़े  यानी चोधरी , भट , राजपूत   इत्यादि  ये सब मुस्लिम में इसी कारण मिलते है ,  और जाहिर  है जब छोटे छोटे  सामंत लोगो ने इस्लाम स्वीकार किया  तो उनकी मातहत  जनता ने अपनी जाति के साथ इस्लाम स्वीकार किया  जिसके कारण भारतीय मुसलमानों में जाति प्रथा  आई , जा तक मंदिर  तोड़ने की बाते   है  तो जाहिरी  रूप से धन प्राप्ति के लिए मंदिर  तोड़े गए   लेकिन कुछ ख़ास मंदिर  और कुछ राजाओं ने , हाँ बौध मठो को तोड़ कर  मंदिर बनाने के पुरे  सबूत मिले है